भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आदेश जारी करते हुए निजी बैंकों के मुखिया की रिटायरमेंट उम्र को तय कर दिया है। अब एचडीएफसी बैंक और इंडसइंड बैंक के सीईओ और चेयरमैन को 70 साल होने के बाद अपना पद छोड़ना होगा। इसको लेकर के निजी बैंकों और आरबीआई के बीच काफी समय से विवाद चल रहा था।
हालांकि निजी बैंक रिटायरमेंट की उम्र 75 साल करना चाह रहे थे। बैंकों का तर्क था कि नए कंपनी कानून की तरह ही उम्र तय की जाए। आरबीआई ने दलील दी है कि बैंक में एक ही व्यक्ति द्वारा लंबे समय तक अध्यक्ष या फिर एमडी बने रहने से किसी तरह का फायदा नही होता है। बैंकिंग की नौकरी में काफी समय देना पड़ता है और यह किसी मंत्री की नौकरी की तरह नहीं है, जहां पर अधिकारियों की एक टीम सलाह देने के लिए होती है।
इस फैसले का सबसे पहले असर एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ आदित्य पुरी एवं इंडसइंड बैंक के चीफ रोमेश सोब्ती पर पड़ेगा। नए आदेश के बाद पुरी को अगले साल अक्तूबर तक और सोब्ती को इस वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले रिटायर होना पड़ेगा।
एचडीएफसी बैंक ने जहां शशिधर जगदीशन को नियुक्त करके आदित्य पुरी की अधिकांश जिम्मेदारियां दे दी हैं, वहीं इंडसइंड बैंक के बोर्ड ने भी एक व्यक्ति को चुन लिया है और उसकी नियुक्ति करने के लिए आरबीआई के पास आवेदन भेजा है। इससे पहले बैंक सोब्ती के कार्यकाल को बढ़ाने जा रहा था।