त्योहारों में कर्ज और सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने और निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में कटौती जरूरी है। इसको देखते हुए रिजर्व बैंक कल शुक्रवार को नीतिगत दरों में एक और कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो ब्याज दरों में यह लगातार पांचवीं कटौती होगी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) तीन दिन की बैठक की बैठक 1 अक्टूबर से शुरू हुई थी। आज 4 अक्तूबर यानी शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी।
सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन को कॉरपोरेट कर की दर में कटौती और ऋण का उठाव बढ़ाने को कदम उठाए हैं। माना जा रहा है कि सरकार के कदम के अनुरूप केंद्रीय बैंक भी रेपो दर में और कटौती कर सकता है।
आईडीएफसी एएमसी के प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा कि वैश्विक और घरेलू परिदृश्य कमजोर है जिससे मौद्रिक रुख में नरमी की गुंजाइश है। हमें उम्मीद है कि रेपो दर को 5 से 5.25% के दायरे में लाया जाएगा।
मांग बढ़ाने के लिए एक और कटौती जरूरी
सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुमान मैगजीन ने कहा कि सरकार ने पिछले कुछ सप्ताह के दौरान अर्थव्यवस्था में बदलावों के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें से ज्यादातर उपाय आपूर्ति पक्ष का दबाव कम करने वाले हैं। मुख्य चुनौती मांग पैदा करने की है। इसके लिए ब्याज दरों में एक और कटौती करना जरूरी है।
लगातार चार बार मिली राहत
तारीख रेपो दर कटौती
07 फरवरी 19 6.25 0.25
04 अप्रैल 19 6.00 0.25
06 जून 19 5.75 0.25
07 अगस्त 19 5.40 0.35
(आंकड़े प्रतिशत में )
खुदरा महंगाई अभी भी दायरे में
आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं लेकिन नीति निर्माता इस बात से राहत ले सकते हैं कि खुदरा महंगाई संतोषजनक दायरे में है। अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.21 प्रतिशत हुई है लेकिन यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में है। हाल के दिनों में कई राज्यों में भारी बारिश के चलते प्याज, सब्जियों के दाम में बड़ा उछाल आया है। लेकिन, इसके बावजूद एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है।