महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स को स्पॉट फिक्सिंग की वजह से दो वर्ष के लिए बैन किया गया था। अब एक बार फिर से धोनी की चेन्नई विवादों में फंसती दिख रही है।
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच में ये पाया है कि चेन्नई सुपरकिंग्स में इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज(IL&FS) ने 300 करोड़ रुपये का निवेश किया।
इस टीम में ये निवेश वर्ष 2018 में किया गया था। इस निवेश के पीछे की वजह के कारणों का पता ईडी लगा रहा है। वर्ष 2018 में ही चेन्नई की टीम ने दो वर्ष के बैन के बाद आइपीएल में वापसी की थी। बैन की वजह से ये टीम 2016 और 2017 के आइपीएल संस्करण में हिस्सा नहीं ले पाई थी। चेन्नई टीम को स्पॉट फिक्सिंग मामले में दोषी पाया गया था और उसके बाद ये कार्रवाई की गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में चेन्नई सुपरकिंग्स फ्रेंचाइजी से पूछताछ की जा सकती है। तीन बार की आइपीएल चैंपियन टीम से इस लेन-देन के बारे में जानने के लिए पूछताछ हो सकती है। वहीं निवेश करने वाली कंपनी से भी पूछताछ की जा सकती है। ये मामला सामने आने के बाद चेन्नई फ्रेंचाइजी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं दी गई है। फ्रेंचाइजी का कहना है कि ईडी ने इस मामले पर अब तक उनसे कोई बात नहीं की है।
वैसे ईडी को इस बात की भनक तब लगी जब वो इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज(IL&FS) के लोन और निवेश की जांच कर रही थी। ईडी ने इस जांच में पाया कि ये निवेश विशेष निवेश श्रेणी के तहत हुआ था। ईडी फिलहाल इस मामले के लेन-देन और उसकी वैधता ही जांच कर रही है।