देशभर में डॉक्टर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल के विरोध में शुक्रवार को भी अनिश्चितकालीन हड़तान पर रहेंगे। इसकी घोषणा देर रात हड़ताल कर रहे संगठनों की बैठक में की गई। गुरुवार को हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। हजारों मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा।
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा कि AIIMS की गवर्निंग बॉडी मीटिंग में, URDA, FORDA & AIIMS RDA के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन हड़ताल (नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ) जारी रखने का फैसला किया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोकसभा में पास हुए नेशनल कमीशन बिल 2019 पास होने का विरोध कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टरों का कहना है अगर ये विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो वे ओपीडी, आपात विभाग, आईसीयू और ऑपरेशन थियेटरों में काम नहीं करेंगे और अपना विरोध अनिश्चितकाल के लिए जारी रखेंगे। पुलिस ने इस दौरान कुछ डॉक्टरों को भी हिरासत में लिया गया था और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया था। गुरुवार को संसद के आसपास के इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनात था। संसद के आसपास की सड़कों पर बैरिकेड लगाए गए थे।
एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज समेत दिल्ली सरकार व नगर निगमों के 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों के करीब 20 हजार रेजिडेंट डॉक्टर बृहस्पतिवार को हड़ताल पर रहे। हड़ताल के चलते एम्स और ट्रामा सेंटर में नए मरीजों को भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया।
जानें क्या है डॉक्टरों की दलील
आईएमए का कहना है कि इस बिल की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी। बिल में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन 50 फीसदी से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे। उनका कहना है कि इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब 3.5 लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें भी लाइसेंस मिल जाएगा। इससे लोगों की जान खतरे में पढ़ सकती है। आईएमए ने यह भी कहा कि इस बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को ठीक से परिभाषित नहीं किया है। जिससे अब नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिक्स आधुनिक दवाओं के साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे और वह इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं।