पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सेवानिवृत कर्मचारियाें के बारे में बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी व नियोक्ता वाला रिश्ता समाप्त हो जाता है। ऐसे में कोई नियोक्ता बाद मेें कर्मचारी की सेवा से संबंधित आदेश जारी नहीं कर सकता। कोर्ट ने इस संबंध में पंजाब मंडी बोर्ड के आदेश को खारिज करते हुए पंजाब सरकार को 23 अक्टूबर काे नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट के यह आदेश पंजाब मंडी बोर्ड से 30 सितंबर, 2014 को सेवानिवृत्त हुए दलबीर सिंह की याचिका पर दिए। उन्होंने अपने सेवानिवृत्ति को लाभ हासिल करने के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि विभाग ने उनकी सेवानिवृत्ति के डेढ़ साल बाद उन्हें सेवानिवृत्ति वाले दिन बर्खास्त किए जाने के आदेश जारी कर दिए। बलाचौर मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी पद पर आसीन रहे दलबीर के खिलाफ 2011 में भ्रष्टाचार के आरोपों में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले के ट्रायल के दौरान ही वह सेवानिवृत्त हो गए।
विभाग ने उनकी सेवानिवृत्ति पर उन्हें पेंशन और लीव एनकैशमेंट का लाभ तो दे दिया परंतु उनके अन्य सेवानिवृत्ति लाभ रोक लिए गए। 7 अक्टूबर, 2015 को शहीद भगत सिंह नगर अदालत ने याचिकाकर्ता को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराते हुए चार साल कारावास और 25 हजार के जुर्माने की सजा सुना दी। जिला अदालत के फैसले के लगभग छह महीने बाद विभाग ने उनकी सेवानिवृत्ति वाले दिन बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए।
जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि कर्मचारी से नियोक्ता वाला संबंध टूटने के बाद विभाग उसकी सेवा के संबंध में फैसला नहीं कर सकता था। पंजाब सिविल सर्विस रुल्स के तहत किसी गंभीर मामले में दोषी पाए गए कर्मचारी के पेंशन या इसके कुछ अंश को रोकने का अधिकार है। लेकिन अगर विभाग इस दिशा में कोई कार्रवाई करना चाहता है तो अगले दो महीने में नए आदेश जारी करे। ऐसा न करने पर याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति लाभ जारी कर दिए जाएं। इन आदेशों के बावजूद याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्ति लाभ न मिलने पर दायर की गई अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने अब सरकार से जवाब मांग लिया है।