दुनिया में ऐसे बहुत से खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने उम्दा प्रदर्शन के बलबूते अपना नाम रोशन किया है, लेकिन ऐसे कम ही रहे हैं जो नाम रोशन करने के साथ ही दूसरों की काबिलियत आंकने का हुनर जानते हों। ये दोनों खूबियां भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार सौरव गांगुली में थीं। गांगुली ने न सिर्फ खिलाड़ियों की पहचान की, बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता पैदा की हो। ऐसे ही एक खिलाड़ी का नाम है महेंद्र सिंह धौनी। धौनी को पहली बार मौका देने का काम सौरव गांगुली ने ही किया था। उस वक्त के सबसे सफल कप्तान गांगुली ने भारतीय भविष्य के लिए सबसे बेहतरीन कैप्टन दिया।
दिसंबर 2004 की। धौनी को पहला मौका गांगुली ने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज में दिया था। वह लगातार तीन मैचों में कुछ खास नहीं कर पाए। फिर भी गांगुली ने उन्हें मौका दिया। अब अगला मुकाबला विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ होना था। इस बार गांगुली ने धौनी को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर तीसरे नंबर पर भेज दिया। अगले दिन अखबारों की हेडलाइन थी, ‘अरे दीवनों, मुझे पहचानों, मैं हूं MSD’। धौनी ने इस मैच में 148 रनों की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की थी।
गांगुली ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ‘मैं कई वर्षों से ऐसे खिलाड़ियों पर नजर बनाए हुए था, जिनमें अकले दम पर मैच पलटने की क्षमता हो। साल 2004 में मेरा ध्यान धौनी पर गया। वे इसी तरह के खिलाड़ी हैं। मैं पहले दिन से ही धौनी से प्रभावित था।’ यहां तक की धौनी की बायोपिक फिल्म में भी इस बात का जिक्र है।
गांगुली की खास बात थी कि वह खिलाडि़यों का काफी समर्थन करते थे। एक टॉक शो के दौरान मोहम्मद कैफ ने कहा था, ‘गांगुली ऐसे कप्तान थे, जिनके पीछे पूरी टीम खड़ी रहती थी। प्लेयर्स को पता होता था कि आप पर कप्तान का भरोषा है। वह आप से आकर सीधा बात करते थे। दिल करता था, इस कप्तान के लिए क्या कर दूं।
आज अगर भारत के पास धौनी जैसे खिलाड़ी हैं, तो इसके पीछे गांगुली का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कई ऐसे खिलाड़ियों को मौका दिया, जो आगे चलकर विपक्षी टीमों को खौफ में डाल देते थे। हरभजन सिंह, युवराज सिंह, जहीर खान, मोहम्मद कैफ और महेंद्र सिंह धौनी। हम कह सकते हैं कि सौरव गांगुली वो कप्तान थे, जिन्होंने भारत को सबसे बेहतरीन कप्तान दिया।