अगर आपको ये गलत फहमी है कि बड़ी-बड़ी फैट्रियों में बिजली की खपत सबसे ज्यादा है तो आप गलत है.आपको जानकर हैरानी होगी कि डिजिटल करेंसी बिटक्वाइन माइनिंग में सबसे ज्यादा बिजली का इस्तेमाल हो रहा है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है. कि हर साल बिटक्वाइन माइनिंग में करीब 53 टेरावाट बिजली खर्च हो रही है. बता दें कि मौजूदा समय में बिट्क्वाइन सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी है. आज एक बिटक्वाइन की कीमत 7.83 लाख रुपये है. आइये जानते है पूरी जानकारी विस्तार से
किसी भी आम आदमी के लिए यह समझना मुश्किल है कि बिटक्वाइन माइनिंग में बिजली का क्या इस्तेमाल है, तो आपको बता दें कि बिटक्वाइन की माइनिंग दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहे तमाम कंप्यूटर के जरिए होती है. महंगी क्रिप्टोकरेंसी होने के कारण लेन-देन में काफी सावधानी बरती जाती है. बिटक्वाइन माइनिंग के लिए कंप्यूटर के एक बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल होता है.
खास बात यह है कि माइनिंग में आम लोगों को ही शामिल किया जाता है और बदले में उन्हें कुछ बिटक्वाइन दी जाती हैं.इस बिटक्वाइन माइनिंग के लिए माइनर्स हर रोज 12 घंटे तक कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं और इसी में बिजली की खपत होती है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने इसका पता लगाने के लिए एक ऑनलाइन टूल की मदद ली थी. एक अनुमान के मुताबिक बिटक्वाइन माइनिंग में हो रही बिजली की खपत स्विट्जरलैंड की सालभर की जरूरत के बराबर है. बिजली की खपत से परेशान ईरान ने सीज किए एक हजार कंप्यूटर
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ईरान ने हाल ही में बिटक्वाइन माइनिंग में इस्तेमाल हो रहे करीब एक हजार कंप्यूटर को सीज किया है. इन कंप्यूटर में बिजली का भरपूर इस्तेमाल हो रहा था. वहीं पिछले साल आई ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यदि बिटक्वाइन वैश्विक करेंसी बन जाती है तो महज 25 साल में ही धरती का तापमान 2 डिग्री सेल्सियम तक बढ़ जाएगा. बता दें कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन है, हालांकि कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अपनी डिजिटल करेंसी भारत सरकार जल्द लॉन्च करेगी.