फिल्मों में काम करते हुए कई दशक ड्रीम गर्ल के रूप में पहचान रखने वालीं हेमा ने मथुरा सीट पर 2014 का लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड 3.30 लाख मतों से जीता था। भाजपा ने इस बार उन्हें फिर उम्मीदवार बनाया है। उनका सीधा मुकाबला गठबंधन से राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार कुंवर नरेंद्र सिंह से है।
कांग्रेस के महेश पाठक चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं, हालांकि दो मजबूत पक्षों के संघर्ष में वह कितनी जगह बना पाए हैं, यह परिणाम ही बताएंगे। क्षेत्र में कहा जा रहा है कि हेमा मालिनी पिछले पांच वर्ष में लोगों से ज्यादा घुल-मिल नहीं पाई हैं। अपने सांसद से मिलना यहां के लोगों ही नहीं, जनप्रतिनिधियों तक के लिए भी आसान नहीं है।
इसी वजह से कुछ लोगों में उनके प्रति नाराजगी है। परिणामस्वरूप वे स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा उछाल रहे हैं। हालांकि ब्रज की यह सीट बाहरी उम्मीदवारों को पहले भी चुनाव जितवाती रही है। मनीराम बागड़ी से लेकर साक्षी महाराज तक यहां से सांसद चुने गए हैं।
2009 में जब जयंत चौधरी चुनाव लड़ने आए तो उन पर बाहरी होने का आरोप लगा था, लेकिन लोगों ने उन्हें विजेता बनाया। यह अलग बात है कि उनकी दादी गायत्री देवी को 1984 और बुआ ज्ञानवती देवी को 2004 में इसी सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। यहां 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी को भी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के मुकाबले करारी हार का सामना करना पड़ा था।