रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में अयोध्या के राजा दशरथ के घर में उनकी रानी कौशल्या के गर्भ से हुआ था। इस वर्ष ये तिथि रविवार 14 अप्रैल को पड़ रही है।
चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन
पंडित दीपक पांडे के अनुसार रामनवमी हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व है। इसी के साथ ही चैत्र मास में पड़ने वाले मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। रामनवमी के दिन श्री राम की पूजा होती है। इसकी पूजा में सबसे पहले देवताओं पर जल, रोली और चंदन का लेप चढ़ाया जाता है, मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आरती की जाती है। राम नवमी का त्यौहार हर साल मार्च – अप्रैल महीने में मनाया जाता है। मान्यता है राम नवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है, जो विष्णु के सातवें अवतार राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राम कथा
रामायण की कथा में बताया गया है कि अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थीं लेकिन बहुत समय तक दशरथ को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ। जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। तब उनको ऋषि वशिष्ठ ने कामेष्टि यज्ञ कराने के लिए कहा, जिस पर दशरथ ने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने के लिए कहा। यज्ञ की समाप्ति पर महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को प्रसाद स्वरूप एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। इसके कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गयीं और राजा को संतान का सुख प्राप्त हुआ। इनमें से सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने विष्णु के सातवें अवतार राम को जन्म दिया। शेष दो रानियों में से कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।
रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में अयोध्या के राजा दशरथ के घर में उनकी रानी कौशल्या के गर्भ से हुआ था। इस वर्ष ये तिथि रविवार 14 अप्रैल को पड़ रही है।
चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन
पंडित दीपक पांडे के अनुसार रामनवमी हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व है। इसी के साथ ही चैत्र मास में पड़ने वाले मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। रामनवमी के दिन श्री राम की पूजा होती है। इसकी पूजा में सबसे पहले देवताओं पर जल, रोली और चंदन का लेप चढ़ाया जाता है, मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आरती की जाती है। राम नवमी का त्यौहार हर साल मार्च – अप्रैल महीने में मनाया जाता है। मान्यता है राम नवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है, जो विष्णु के सातवें अवतार राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राम कथा
रामायण की कथा में बताया गया है कि अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थीं लेकिन बहुत समय तक दशरथ को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ। जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। तब उनको ऋषि वशिष्ठ ने कामेष्टि यज्ञ कराने के लिए कहा, जिस पर दशरथ ने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने के लिए कहा। यज्ञ की समाप्ति पर महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को प्रसाद स्वरूप एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। इसके कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गयीं और राजा को संतान का सुख प्राप्त हुआ। इनमें से सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने विष्णु के सातवें अवतार राम को जन्म दिया। शेष दो रानियों में से कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।