केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक, जो व्यक्ति आईटीआर-2 भरते हैं और रिहायशी संपत्ति से आय प्राप्त करते हैं तो उन्हें किरायेदार का ब्योरा, उसका पैन या टैन (कर कटौती और संग्रह खाता संख्या) के बारे में जानकारी देनी होगी। जो लोग चंदा देते हैं और कर छूट का दावा करते हैं, उन्हें चंदा प्राप्त करने वाले के नाम, पता तथा पैन देने होंगे। जिन करदाताओं की कृषि आय है और आईटीआर-2 भरते हैं, उन्हें भी विस्तृत ब्योरा देना होगा। इसमें भूखंड की माप, जिले का नाम साथ पिन कोड के बारे में बताना होगा जहां वह जमीन है।
साथ ही यह भी बताना होगा कि यह जमीन उनकी है या पट्टे पर। क्या यह सिंचित है या फिर वर्षा आधारित क्षेत्र है। वहीं कंपनियों के निदेशकों, गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के निवेशकों के लिए सहज और सुगम फॉर्म में रिटर्न भरने से रोक लगा दी है।
आईटीआर-4 यानी सुगम फॉर्म उन लोगों, हिन्दु अवभाजित परिवारों और एलएलपी को छोड़कर अन्य फर्मों के लिए रखा गया है जिनकी कुल अनुमानित आय योजना के तहत व्यवसाय अथवा पेशे से 50 लाख रुपये तक की आय है।
आईटीआर-1 यानी सहज फॉर्म केवल वही व्यक्ति भर सकते हैं जिनका वेतन, एक मकान की संपत्ति, ब्याज से आय 50 लाख रुपये सालाना तक तथा 5,000 रुपये तक की कृषि आय हो। इसमें किसी कंपनी में निदेशक शामिल नहीं होंगे।
‘किरायेदार का ब्योरा, पैन-टैन देना होगा ‘ चंदे कर छूट के लिए प्राप्तकर्ता का नाम, पता व पैन दें’ कृषि आय वालों को भूखंड की माप, जिले का नाम व पिनकोड देना होगा ‘ कंपनी के निदेशक, गैरसूचीबद्ध कंपनियों के निवेशक
सहज-सुगम फॉर्म पर रोक
विदेशी खातों, विदेशी इक्विटी और बॉन्ड आदि के बारे में भी जानकारी देनी होगी। आईटीआर-6 भरने वाली गैर-सूचीबद्ध कंपनियों को फॉर्म में अपने निवेशकों, भारत में उनके निवास की स्थिति, पैन नंबर, आवंटन की तारीख, रखे गये शेयरों, प्रति शेयर निर्गम मूल्य तथा निवेश राशि के बारे में जानकारी देनी होगी। विदेशी कंपनियों को आईटीआर भरते समय अपनी मूल कंपनी के बारे में ब्योरा देना होगा।