अतीत के आईने से: जब अटल जी रहे समय के पाबंद, और नहीं पहुंचे लालू यादव

आठ मई 2004। शाम का वक्त। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लुधियाना के चंडीगढ़ रोड पर स्थित ग्राउंड में लोकसभा चुनाव प्रचार के अंतिम दिन रैली थी। वह शिअद-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार शरणजीत सिंह ढिल्लों के हक में प्रचार करने पहुंचे थे।

चुनाव प्रचार खत्म होने से एक मिनट पहले वाजपेयी जी ने खत्म किया था भाषण

हजारों की भीड़ के बीच वाजपेयी जी का भाषण शुरू हुआ। उनको सुनने का लोगों में बहुत क्रेज था, लेकिन उनका भाषण देर से शुरू होने के कारण ऐसा लग रहा था कि कहीं वे आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए प्रचार का समय खत्म होने के बाद भी भाषण जारी न रखें। लेकिन उस वक्त सभी दंग रह गए, जब पांच बजने से एक मिनट पहले अचानक वाजपेयी जी ने अपना भाषण रोका और ‘जय हिंद’ कह कर सीधा मंच से नीचे उतर गए। दरअसल उनकी नजर अपनी घड़ी पर भी थी। रैली संपन्न होने के बाद वाजपेयी जी के समय के पाबंद होने की ही चर्चा चलती रही।

खास बात यह रही कि ठीक इसी समय एक समानान्तर रैली तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी के पक्ष में लालू यादव की कुछ ही दूरी पर थी। वहां भी लोगों का हुजूम था जिसमें उप्र व बिहार के बहुत से लोग थे। लेकिन इसी बीच पता चला कि लालू यादव नहीं पहुंच रहे हैैं। यह पता चलते ही मनीष तिवारी की चिंता बढ़ गई। काफी देर तक लालू के कुछ ही देर में पहुंचने की घोषणा की जाती रही।

रैली के आयोजकों को डर था कि जनता को यदि पता चल गया कि लालू नहीं आ रहे हैैं तो लोग वाजपेयी जी की रैली में भाग जाएंगे। मनीष तिवारी ने चतुराई दिखाते हुए मोबाइल फोन पर लालू यादव और लोगों के बीच संपर्क बनाने की कोशिश की। लालू यादव ने फोन पर जैसे ही कहा कि तबीयत खराब होने के कारण वह नहीं आ पा रहे तो जनता उठकर तुरंत वाजपेयी जी की रैली में पहुंच गई। इस रैली के बाद शिअद-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी शरणजीत सिंह ढिल्लों के पक्ष में जोरदार हवा बनी और वे जीत गए। इसके बाद से गठबंधन प्रत्याशी यहां से नहीं जीता। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस की जीत हुई।

छोटे से भाषण में जीत लिया था दिल
वाजपेयी जी ने समय के अभाव में छोटे से भाषण में ही लोगों का दिल जीत लिया था। उन्होंने लोगों से वादा किया था कि यदि लोकसभा में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को दो-तिहाई बहुमत मिलेगा, तो वह नदियों की इंटर लिंकिंग करवाएंगे, ताकि किसानों को सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना न करना पड़े।

उस वक्त भी उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति व उससे बातचीत की बात दोहराई थी। कहा था कि बॉर्डर पर शांति है और चढ़ते व ढलते पंजाब के लोगों में प्यार है। लुधियाना की स्टील इंडस्ट्री पर भी चिंता जताई थी और आश्वासन दिया था कि जीत के बाद स्टील की कीमतें बढ़ाएंगे, ताकि उद्योगों को बचाया जा सके।

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