Women’s Day: बॉलीवुड को हीरोइन तो चाहिए लेकिन महिला निर्देशक नहीं!

फिल्मों में महिला निर्देशकों की संख्या इंडस्ट्री में हमेशा कम ही रही है। इसलिए ये गणित शुरू से ही महिलाओं के खिलाफ रहा है। एक महिला निर्देशक, जो फिल्म की हीरोइन भी है, उस पर पैसा लगाना आज भी थोड़ा जोखिम का काम ही माना जाता है लेकिन हाल ही में रिलीज हुई फिल्म मणिकर्णिका में कंगना ने ये साबित कर दिया है कि एक महिला न सिर्फ बेहतरीन अभिनेत्री बल्कि बेहतरीन निर्देशक भी हो सकती है। हॉलीवुड में भी ये लिस्ट छोटी ही है- एंजेलीना जोली, नैटली पोर्टमैन, जोडी फॉस्टर जैसी कुछ अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने फिल्में भी निर्देशित की हैं। महिला दिवस पर आज बात करते हैं बॉलीवुड की गिनी चुनीं महिला निर्देशकों की।

फातिमा बेगम
बॉलीवुड की पहली महिला फिल्म निर्देशक थी फातिमा बेगम। 1926 में उन्होंने फिल्म ‘बुलबुल ए परिस्तान’ का निर्देशन किया था। उस वक्त एक खास तबके की महिलाएं ही आगे बढ़ पाती थीं।

लीना यादव
“शब्द”, “तीन पत्ती” और “पार्च्ड” फिल्मों का निर्देशन किया है. “पार्च्ड” को टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में काफी सराहना मिली है।

गौरी शिंदे
‘इंग्लिश- विंग्लिश’ और ‘डियर ज़िंदगी’ जैसी फिल्मों के साथ अपने निर्देशन, लेखन और सोच का लोहा मनवा चुकी हैं। उनकी दोनों ही फिल्मों ने महिलाओं के विषय को संजीदगी से उठाया और उन्हें 2012 में फिल्म फेयर का बेस्ट फिल्म निर्देशक (डेब्यू) का सम्मान भी मिला।

अश्विनी अय्यर तिवारी
निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी को 2017 में उनकी फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ के लिए फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ (डेब्यू) निर्देशक का अवॉर्ड मिला है।

जोया अख्तर
सिनेमा पर अच्छी पकड़ बना चुकी जोया अख्तर ने ‘लक बाई चांस’ और ‘जिंदगी मिलेगी ना दोबारा’ जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन किया। आज इन्हें बॉलीवुड में एक सफल महिला निर्देशक के रूप में जाना जाता है। हाल ही में उन्होंने गली ब्वॉय का निर्देशन किया है।

1926 से 2019 के बीच 93 साल बीत चुके हैं, लेकिन बॉलीवुड में महिला निर्देशकों की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है।

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