यह साल रहेगा 5G मोबाइल सेवा के नाम

मोबाइल और संचार की दुनिया में यह साल 5जी टेक्नोलॉजी के नाम रहने वाला है। हालांकि अभी 5जी तकनीक आने मे वक्त लगेगा, लेकिन न केवल मोबाइल डिवाइस बल्कि इसका पूरा इकोसिस्टम इस वर्ष 5जी में तब्दील हो जाएगा।

यह साल विभिन्न 5जी उत्पादों के लांच का भी रहेगा जिसमें सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स पहला 5जी फोन लांच करके बाजी मार चुकी है। आने वाले समय में कई और कंपनियां भी 5जी हैंडसेट लाने की तैयारी में हैं। सैमसंग ने पिछले हफ्ते ही 5जी मोबाइल हैंडसेट एस-10 बाजार में उतारने का एलान किया है। हालांकि अभी 5जी मोबाइल सेवा की शुरुआत नहीं हुई है। लेकिन मोबाइल हैंडसेट व उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने इसकी तैयारी लगभग पूरी कर ली है।

मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में तकरीबन सभी कंपनियों ने अपने 5जी उत्पादों का प्रदर्शन किया है। इन कंपनियों की घोषणाओं से स्पष्ट है कि इस वर्ष 5जी का पूरा इकोसिस्टम तैयार हो जाएगा। मोबाइल डिवाइस बनाने वाली कंपनियां भी साल 2020 की शुरुआत में ही अपने उत्पाद बाजार में उतारने को तैयार हैं। सैमसंग भी इनमें से एक है।

मोबाइल चिप बनाने वाली कंपनी क्वालकॉम 5जी तकनीक पर आधारित स्नैपड्रैगन 855 मोबाइल चिप और स्नैपड्रैगन एक्स50 चिप बाजार में उतार चुकी है। सैमसंग ने अपने नवीनतम एस-10 5जी फोन में इनका इस्तेमाल किया है। क्वॉलकॉम 5जी डिवाइसेज के लिए एक और चिप जल्द बाजार में उतारेगी।

क्वॉलकॉम के प्रेसिडेंट क्रिष्टियानो ने बताया कि इस चिप पर आधारित पहला मोबाइल फोन भी सैमसंग की तरफ से ही आएगा। दुनियाभर में 5जी तकनीक को विकसित होने से लेकर उस पर आधारित उत्पादों के बाजार में आने में मात्र 10 वर्ष का समय लगा है। साल 2009 में जब 4जी तकनीक लांच हुई थी, तब दुनियाभर में केवल चार ऑपरेटर और तीन उपकरण निर्माता कंपनियां थी। लेकिन आज 20 से अधिक ऑपरेटर 5जी टेक्नोलॉजी लांच की तैयारी पूरी कर चुके हैं और इतने ही ओईएम उपकरण और हैंडसेट बनाने के लिए तैयार हैं। भारत में रिलायंस जियो भी 5जी टेक्नोलॉजी के लांच के लिए पूरी तरह तैयार है।

वोडाफोन ने लगाया बड़ा आरोप

ब्रिटेन की टेलीकॉम दिग्गज वोडाफोन ने आरोप लगाया है कि पिछले दो वर्षों में भारत में टेलीकॉम सेक्टर के लिए नियामक संबंधी जितने भी फैसले आए हैं, वे रिलायंस जियो के पक्ष में और अन्य सभी कंपनियों के खिलाफ रहे हैं। वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) निक रीड ने यह भी कहा कि पिछले कुछ समय के दौरान भारत में कंपनी मुश्किल दौर से गुजरी है। लेकिन अब नेटवर्क में निवेश और संपत्तियों के मौद्रीकरण के माध्यम से वह भारतीय बाजार में टिकने के लिए बेहतर स्थिति में आ चुकी है।

रीड ने यह भी कहा कि वर्तमान में भारतीय बाजार में टेलीकॉम सेवा की दरें सबसे कम और कारोबार के लिहाज से टिकाऊ नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘सभी तीन टेलीकॉम कंपनियां नकदी की किल्लत से जूझ रही हैं। दुनियाभर में टेलीकॉम सेवाओं के दाम भारत में सबसे सस्ते हैं। वहां एक औसत ग्राहक इतनी कम दर में हर महीने 12 जीबी डाटा का इस्तेमाल कर रहा है, जो दुनियाभर में कहीं भी नजर नहीं आती हैं।’ गौरतलब है कि कंपनी भारत में आदित्य बिड़ला ग्रुप से गठजोड़ के तहत वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के तहत कारोबार का संचालन कर रही है।

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