भोपाल गैस पीड़ितों को मुआवजा देने से जुड़ी दो संयुक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में सुनवाई की तारीख तय की है। सुनवाई के लिए भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन की तरफ से एक हफ्ते पहले वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिक ने सुनवाई करने अर्जी दी थी। बताया था कि संगठन ने भोपाल गैस पीड़ितों को पांच गुना मुआवजा देने संबंधी याचिका दायर की थी जो केंद्र सरकार की सुधार याचिका के साथ है। इन पर सुनवाई नहीं होने से पीड़ितों को मुआवजा मिलने में देरी हो रही है। आवेदन को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की तारीख तय की है।
2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में हुए भयावह गैस कांड में मृतक व गंभीर घायलों को मुआवजा देने 14-15 फरवरी 1989 में यूनियन कार्बाइड व केंद्र सरकार के बीच समौता हुआ था। समझौते में 1 लाख 2 हजार गंभीर घायल व 3 हजार मृतकों के परिजनों के लिए 715 करोड़ मुआवजा राशि तय की थी। तब भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन व भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने कोर्ट में 22 फरवरी 1989 को समझौते को चुनौती दी थी। इसमें बताया था कि समझौते में केंद्र सरकार ने घायल व मृतकों की संख्या कम बताई है। जो गलत है। समझौते में भविष्य में होने वाली गंभीर घायलों की मौत व खतरनाक बीमारियों का ध्यान नहीं रखा गया। तब सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 1991 के एक निर्णय में कहा था कि आने वाले समय में घायल व मृतकों की संख्या बढ़ती है और मुआवजा राशि कम पड़ती है तो उसे समतौता करने वाली केंद्र सरकार को वहन करनी होगी।
इन साक्ष्यों के आधार पर मांगा है पांच गुना मुआवजा
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार बताते हैं कि समझौते में यूनियन कार्बाइड से मिले 715 करोड़ रुपए 1990 से 2006 के बीच 5 लाख 74 हजार घायल व 15 हजार 274 मृतकों के परिजनो को दो किश्तों में मुआवजे के रूप में बांटी गई। जबकि समझौत में तत्कालीन केंद्र सरकार ने घायल व मृतकों की संख्या कम बताई थी। इसलिए उक्त राशि मृतक के परिजन व गंभीर घायलों को कम पड़ी। तब पीड़ित घायल व मृतकों के आंकड़े स्थानीय स्तर पर गैस कांड के मामलों का निराकरण करने वाली गैस अदालतों में सामने आए थे। इस आधार पर 2004 में कोर्ट के सामने ये आंकड़े रखे थे।
कम मुआवजा मांगा
सुधार याचिका में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जो मुआवजा मांगा है वह काफी कम है। सुनवाई के दौरान हम कोर्ट के सामने आंकड़ों के साथ ये बातें रखेंगे
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