आप जब सफर करते है तो देखें होंगे रोड के सहारे पत्थर लगे होते है जिन्हे मील के पत्थर कहते है। आपको आपकी मंजिल तक ले जाने वाले इन पत्थरों के रंगों पर शायद ही आपने कभी गौर किया हो। कोई मील का पत्थर पीले का रंग का होता है, कोई हरा और काला और कुछ लाल। दरअसल इन पत्थरों के कलर के पीछे भी सबकी अपनी पहचान है।
क्या है इन पत्थरों के रंग का राज:
नारंगी रंग का मील का पत्थर
अगर आपको नारंगी रंग का मील का पत्थर नजर आ जाए, तो समझिए कि आप किसी गांव की ओर बढ़ रहे हैं। क्योंकि इस रंग के माइलस्टोन सिर्फ ग्रामीण सड़क पर ही लगे होते हैं।
हरा -सफेद मील का पत्थर
अगर इस रंग के पत्थर मिले तो आप समझ सकते हैं, कि आप किसी स्टेट हाई-वे से गुजर रहे हैं, जो एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ता है।
पीला -सफेद मील का पत्थर
सड़क किनारे बना हुआ पीला माइलस्टोन आपको राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने का संकेत देता है। यानी जब आप नेशनल हाईवे पर सफर कर रहे हो, तो आपको रास्ते में इसी रंग के पत्थर मिलेंगे।
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काला मील का पत्थर
इस रंग के पत्थर आपको किसी बड़े शहरों में ही देखने मिलते हैं। दिल्ली, गुड़गांव या फिर पुणे, मुंबई जैसे शहरों में दरअसल काले रंग पुते ये मील के पत्थर ये बताते हैं, कि आप किसी बड़े शहर या जिले की तरफ बढ़ रहे हैं।
सफेद मील का पत्थर
सफेद रंग का मील का पत्थर अवर्गीकृत (Non-classified) सड़को पर लगे रहते है। यह सड़के लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन हो सकती है। इसका निर्माण राज्य शासन द्वारा लोकहित में आवश्यकतानुसार करवाया जाता है।