कहते हैं कि आदमी की पहचान उसके जूतों से होती है. क्या यह बात सही है?
एक हद तक तो सही भी और एक तरह से गलत भी है.
आज की कारपोरेट दुनिया में सूट की बड़ी एहमियत होती है. हल्के रंग का शर्ट और गहरे रंग की पैंट. पैंट से मिलते-जुलते रंग के मोज़े और अंत में एक जोड़ी चमचमाते हुए चमड़े के जूते.
कॉलेज जाने वाले छात्र तो कभी किरमिच(canvas) के जूते पहनते हैं या फिर इनका काम एक जोड़ी चप्पलों में ही हो जाता है.
लेकिन अब भी एक सवाल बरकरार है कि जूते आदमी की औकात कैसे बता सकते हैं?
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महात्मा गांधी का आत्मविश्वास अगर उनकी नम्र चप्पलों से नापा-तोला जाए, तो यह गणित किसी काम का नहीं रहेगा. वहीँ अगर हम दूसरा उदाहरण लें, तो यह कहावत कि “आदमी की पहचान, उसके जूतों से होती है” गलत साबित हो सकती है. हमारे भारत के महान चित्रकार एम.एफ.हुसैन जी, तो कभी जूते- चप्पल पहनते ही नहीं थे. यह इनकी एक पहचान हो गयी थी. इसका मतलब एम.एफ़.हुसैन तो, ‘औकात’ के परे थे और वैसे भी आदमी की ‘औकात’ का पता लगाने वाले हम कौन होते हैं?
लेकिन सही कपड़ों की तरह ही सही फुटवियर(जूते-चप्पल) भी बहुत ज़रूरी होते हैं.
आइये अब एक ऐसी सूची देखते हैं, जो अलग-अलग जूतों के हिसाब से आदमियों की पहचान बताती है.
1. बेचाप जूते (sneakers)
बेचाप जूते सारी दुनिया में प्रसिद्ध है और लोगों के मनपसंद हैं. इन्हें देख कर एक ही ख्याल आता है, ‘मस्त’, बेचाप जूते काफी अन्तराष्ट्रीय सितारों की पहचान सी बन गए हैं.
2. ब्लैक ड्रेस शूज़
यह जूते दुनिया भर में पढ़े-लिखे और शिष्ट मनुष्य की पहचान हैं. इन्हें देखने के बाद एक ही शब्द में आदमी की पहचान की जा सकती है और वो शब्द है ‘संगठित’.
3. एंकल बूट्स
एंकल बूट्स लम्बे और गठीले मर्दों पर खूब जमते हैं. यह जूते एक तरह से ताकत का प्रतीक होते हैं और इन जूतों का वाकई कोई मुकाबला नहीं है.
4. लोफर
नाम पर मत जाइए. ये जूते, काफी लोगों की पसंद हैं और ये आदमी की होशियारी को दर्शाते हैं. इन्हें पहनने वाला ‘प्रौढ़’(mature) नज़रिए का व्यक्ति माना जाता है.
5. चप्पल
चप्पल पहनने वाले लोग अपने बचपन के करीब होते हैं और समाज की पुरानी हो चुकी सोच को मानना ज़रूरी नहीं समझते (कोल्हापुरी अपवर्जित). वे ‘कूल’ कहलाते हैं.
6.पादुका
पादुका पहनने वाले तो काफी कम मिलेंगे और उनकी ‘औकात’ का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता.
आप अगर पादुकाएं पहनते हैं तो आप पक्के तौर पर स्वदेशी हैं.
7. सैंडल
सैंडल प्रयोग करने वालों को ‘आलसी’ माना जा सकता है और अगर कोई मोज़े और सैंडल साथ में पहने तो फिर तौबा-तौबा!
तो इस तरह, विभिन्न-विभिन्न जूतों से विभिन्न-विभिन्न आदमियों की विभिन्न-विभिन्न औकातों का पता चलता है. सही या गलत….यह आपके ऊपर है. अपनी पहचान का पता लगाइए और मन हो तो पहचान बदल भी लीजिये. जूते ही तो हैं!