मजदूर संगठनों की क्या है मांग? 20 करोड़ कर्मचारी शामिल…

सरकार के एक तरफा श्रम सुधार और श्रमिक-विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संघों ने मंगलवार से दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. संघों ने जारी संयुक्त बयान में इसकी जानकारी दी कि करीब 20 करोड़ कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होंगे. एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने सोमवार को 10 केंद्रीय श्रमिक संघों की एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कहा, दो दिन की हड़ताल के लिए 10 केंद्रीय श्रमिक संघों ने हाथ मिलाया है. हमें इसमें 20 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत सरकार की जनविरोधी और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ इस हड़ताल में सबसे ज्यादा संख्या में संगठित और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी शामिल होंगे. दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंकिंग, बीमा और परिवहन क्षेत्र के लोगों के इस हड़ताल में शामिल होने की उम्मीद है. कौर ने कहा, हम बुधवार को नई दिल्ली में मंडी हाउस से संसद भवन तक विरोध जुलूस निकालेंगे. इसी तरह के अन्य अभियान देशभर में चलाए जाएंगे.

10 श्रमिक संगठनों का हल्ला बोल

कौर ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संघ एकतरफा श्रम सुधारों का भी विरोध करता है. उन्होंने कहा, हमने सरकार को श्रमिक कानूनों के लिए सुझाव दिए थे, लेकिन चर्चा के दौरान श्रमिक संघों के सुझाव को दरकिनार कर दिया गया. हमने 2 सितंबर 2016 को हड़ताल की. हमने 9 से 11 नवंबर 2017 को ‘महापड़ाव’ भी डाला, लेकिन सरकार बात करने के लिए आगे नहीं आई और एकतरफा श्रम सुधार की ओर आगे बढ़ गई. इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हो रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ इसमें भाग नहीं ले रहा है.

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मजदूर संगठनों की क्या है मांग?

कौर ने कहा कि सरकार रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है. सरकार ने श्रमिक संगठनों के 12 सूत्रीय मांगों को भी नहीं माना. श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में बने मंत्रीसमूह ने 2 सितंबर की हड़ताल के बाद श्रमिक संगठनों को चर्चा के लिए नहीं बुलाया. इसके चलते हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. श्रमिक संघों ने ट्रेड यूनियन अधिनियम-1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध किया है.

सरकारी बैंकों के कुछ कर्मचारी 8 और 9 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लेंगे. उन्होंने सरकार की कथित कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर प्रस्तावित हड़ताल के समर्थन में यह निर्णय लिया है. आईडीबीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने बंबई शेयर बाजार को बताया है कि ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) ने 8 और 9 जनवरी के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बारे में इंडियन बैंक एसोसिएशन को सूचित किया है.

पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई छात्र संगठनों ने प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के खिलाफ प्रभावशाली छात्र संगठन की ओर से मंगलवार को बुलाए गए बंद का समर्थन किया है. नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनईएसओ) ने 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है जिसका मिजो जिरलाइ पवाल (एमज़ेडपी), ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (एएपीएसयू), नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ), असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने उन्हें अपना समर्थन दिया है.

एनईएसओ के एक नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में बयान दिया था कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को संसद से जल्द पारित कराया जाएगा. इस बयान की निंदा करने के लिए बंद का आह्वान किया गया है. विधेयक को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए एएपीएसयू के अध्यक्ष हावा बगांग ने कहा, अगर विधेयक पारित होता है तो हमारे पास अपनी मूल आबादी को बचाने के लिए हथियार उठाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा.

नागरिकता विधेयक 1955 में संशोधन करने के लिए नागरिकता विधेयक 2016 को लोकसभा में पेश किया गया है. संशोधित विधेयक पारित होने के बाद, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक अत्याचार की वजह से भागकर 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले हिन्दू, सिख, बौद्ध जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करेगा.

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