कोलकाता की रहने वाली निताशा बिस्वास को देखकर एक बार के लिए भी ऐसा नहीं लगता कि वह ट्रांसजेंडर हैं।
निताशा कोलकाता की रहने वाली हैं और उनकी उम्र 26 साल हैं। वो कोलकाता से ही बिजनैस मैनेजमैंट में मास्टर्स कर रही हैं। 3 साल की उम्र में निताशा को इस बात का पता चल गया था कि उनका शरीर तो लड़कों का है लेकिन वो अंदर से एक लड़की की तरह हैं।
खबरों की मानें तो निताशा ने बताया था कि माता- पिता की इजाजत के बिना लड़की बनने का फैसला लेना उनके लिए आसान नहीं था। यहां तक कि उनके परिवारवालों ने अभी तक उन्हें पूरी तरह अपनाया भी नहीं है। निताशा ने एक इंटरव्यू में ये भी कहा था कि जब उन्होंने जैंडर चेंज करवाने का फैसला किया तो उनके परिवार के अलावा कई दोस्तों और करीबीयों ने भी उनसे किनारा कर लिया। निताशा कोलकाता से दिल्ली आ गईं और यहां आकर उन्होंने जैंडर चेंज के लिए HRT यानी हारमोनल रिप्लेसमैंट थैरेपी का सहारा लिया।
निताशा के इस सैक्स चेंज प्रोसैस को करीब तीन से चार साल का वक्त लगा। इस दौरान वह लगातार साइकोलॉजिस्ट से भी संपर्क में रहीं क्योंकि ये उनकी जिंदगी का बहुत बड़ा बदलाव था जिसके लिए उन्हें मानसिक रूप से भी तैयार रहने की जरूरत थी। निताशा ने बताया कि उनके पिता उन्हें कभी लड़की के रूप में नहीं देखना चाहते थे।
एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में निताशा ने कहा कि ट्रांजिशन प्रोसैस से पहले उनके पिता ने उन्हें शादी करने के लिए मनाने की कोशिश की। निताशा ने कहा, मेरे पिता ने मुझे कहा कि वो मेरे लिए एक बंगाली लड़की ढ़ूंढ रहे हैं लेकिन मैंने जवाब में उन्हें साफ कहा, लेकिन मैं अपने लिए बंगाली लड़का चाहती हूं।
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बता दें कि निताशा का मानना है समाज के भेदभाव के चलते 70% प्रतिशत ट्रांसजेंडर्स डिप्रेशन का शिकार हैं। ना ही उनकी कोई आर्थिक सहायता करने में आगे आता है और ना ही उनके पास कोई जॉब सपोर्ट है। इसी के चलते ज्यादातर ट्रांसजैंडर सैक्स ट्रैड का हिस्सा बन जाते हैं। जल्द ही निताशा पर अलका वासुदेवा एक किताब जारी करने जा रही हैं जिसका टाइटल है।
पहली बार देश में ट्रांसजैंडर्स कॉन्टैस्ट मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2017 में आयोजित किया गया था
यही वजह है कि साल 2018 में आयोजित हुए मिस इंटरनैशनल ट्रांसक्वीन थाइलैंड में इन्हें भारत को रिप्रजैंट करने का मौका मिला