अयोध्या में देवी सीता की मूर्ति बनाने का आग्रह किया है. अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि अयोध्या में बनने वाले भगवान राम की मूर्ति के बगल में माता सीता की मूर्ति भी लगाई जाए. दरअसल, पिछले महीने ही योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार ने सरयू नदी के किनारे भगवान राम की मूर्ति लगाने की घोषणा की है, ये मूर्ति गुजरात की स्टैचू ऑफ यूनिटी से भी ऊंची होगी, इसकी ऊंचाई 221 मीटर बताई जा रही है.

कांग्रेस नेता ने पत्र में तर्क दिया, ‘राजा जनक की भूमि मिथिला सीता माता की भूमि मानी जाती है. यहीं सीता जी का प्राकट्य हुआ और यहीं श्रीराम के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ. नियति देखें, विवाह के बाद अयोध्या बहू बनकर गई लेकिन कुछ ही दिनों में श्रीराम के साथ उनको 14 वर्ष का वनवास पर जाना पड़ा.’ डॉ. कर्ण सिंह ने आगे लिखा कि इसके बाद उनका अपहरण हो गया, फिर युद्ध और अग्नि-परीक्षा के बाद वे महारानी बनकर वापस अयोध्या आईं, लेकिन गर्भवती होने के बाद उन्हें फिर वनवास झेलना पड़ा.
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इसके आगे उन्होंने लिखा, ‘ऐसी दुखद परिस्थितियों को याद करने के बाद यह ख्याल आया कि यदि अयोध्या में श्रीराम की भव्य-मूर्ति बनाने का निर्णय लिया गया है, तो मेरा अनुरोध है कि उसकी ऊंचाई आधा करके राम और सीता दोनों की युगल मूर्तियां स्थापित की जाएं. जिससे कम से कम सहस्त्र वर्षों के बाद सीता जी को अयोध्या में अपना उचित स्थान मिल सके.
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