झालरापाटन से उतर तो गए हैं मानवेन्द्र, पर क्या भेद पाएंगे वसुंधरा का किला, जानिए

राजस्थान के चुनावी संग्राम में मतदान होने में बस चंद घंटे ही बाकी हैं, इस बार सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है. झालरापाटन सीट से मानवेंद्र सिंह भाजपा को कड़ी चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा का किला फतह करने के लिए उन्होंने अपनी पूरी जान लगा दी है. राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की दूसरी सूची में 31वें नंबर पर मानवेन्द्र सिंह का नाम दर्ज था. और सीट थी झालरापाटन.

इस बात पर किसी को भी एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ, ये पता थे कि मानवेंद्र जंग में लौटेंगे लेकिन उम्मीद बाड़मेर, जैसलमेर के आसपास की थी झालावाड़ के झालरापाटन सीट की नहीं. किन्तु अब अगर सूत्रों की मानें तो मानवेंद्र ने झालारापाटन में खुद को पूरी तरह झोंक दिया है. वे बखूबी जानते हैं कि ये उनका इलाका नहीं है, ये जमीन उनकी नहीं है. लेकिन, जख्म जब गहरे हों तो लड़ने का हौसला खुद-ब-खुद मिल जाता है.मुख्यमंत्री वसुंधरा के निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन के रण में रणविजय बनने के लिए पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह इन दिनों जमकर तैयारी कर रहे हैं. वे खुद जनसंपर्क अभियानों का नेतृत्व कर लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं,  इन दिनों वो झालरापाटन में 10 से 12 घंटे तक प्रतिदिन नुक्कड़ सभाएं करते दिखाई दे रहे हैं.

 उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के प्रचार के लिए झालरापाटन पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि भाजपा ने मानवेंद्र जैसे मणि को निकालकर फेंक दिया और उसे कांग्रेस ने सोने में जड़ दिया है. करणी सेना ने मानवेंद्र के समर्थन का एलान कर दिया है, पद्मावत विवाद और आनंदपाल एनकाउंटर के बाद, वसुंधरा राजे से राजपूतों की नाराजगी साफ़ झलकती है. इन सबको देखकर लगता है कि ये शायद राजस्थान के रण का सबसे टक्कर वाला ‘युद्ध’ साबित होगा.

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