पुलिस चौकी से 20 कदम दूर चलने पर स्याना तहसील के चिगरावठी गांव का रास्ता आता है। मुख्य सड़क से करीब 500 मीटर दूर बसे इस गांव में सोमवार सुबह तक चहल-पहल थी।
नोएडा में पढ़ रहा अमरजीत सिह का 21 वर्षीय पुत्र सुमित परिजनों के साथ बैठकर अपने भविष्य के सपने बुन रहा था, लेकिन गोवंश मिलने के बाद हुए बवाल में उसकी जान चली गई। मंगलवार दोपहर गांव में पसरे सन्नाटे को सुमित के घर से उठ रही महिलाओं की चीत्कार तोड़ रही थी।
इसे सुनकर हर किसी का दिल पसीजा जा रहा था। गांव का युवक सुमित सोमवार को पुलिस चौकी पर हुए बवाल के दौरान गोली का शिकार हो गया। सुमित की अकाल मौत को लेकर हर कोई गमगीन है। वैसे तो गांव की अधिकांश गलियां सुनसान पड़ी थीं। गांव में वृद्ध, महिलाओं व बच्चों को छोड़कर बहुत कम युवा नजर आ रहे थे।
सुमित के घर पर मौजूद महिलाएं उसकी चार बहनों को ढांढस बंधा रही थी। मां को उसके लाडले को गोली लगने की जानकारी मिली तो उनकी हालत बिगड़ गई थी। उन्हें शव पहुंचने तक इसकी जानकारी न देने का फैसला किया गया था।
मृतक के घर के पास गली में खड़े उसके मामा व कुछ ग्रामीणों ने बताया कि सुमित बहुत ही होनहार था। वह बीए की पढ़ाई कर रहा था। पिछले दिनों उसने पुलिस व रेलवे की परीक्षा दी थी। वह नोएडा में रहकर पढ़ाई कर रहा था। समय मिलने पर गांव आ जाता था। उसके पिता अमरजीत आठ बीघा भूमि और पशुपालन से जीवन यापन कर रहे हैं। उनका या सुमित का किसी राजनीतिक दल या किसी अन्य संगठन से कोई वास्ता नहीं था।
सोमवार को वह अपने दोस्त को छोड़ने के लिए पास के बस स्टैंड पर गया था। उसका बवाल से कोई संबंध नहीं था। उसके पांच मिनट बाद ही उसे गोली लगने की सूचना मिली तो परिजनों में कोहराम मच गया। आनन-फानन में उसे मेरठ अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। एक ग्रामीण ने कहा कि सुमित को गलत वक्त पर गलत जगह होना बहुत भारी पड़ा।
पुलिस मामूली भीड़ क्यों नहीं संभाल सकी
सुमित की मौत से चिगरावठी के लोगों में रोष है। ग्रामीणों ने सवाल किया कि लाखों की भीड़ वाले इज्तिमा को सकुशल संपन्न कराने वाली पुलिस हंगामा कर रही छोटी सी भीड़ को क्यों नहीं संभाल पाई? गोली चलाने की नौबत क्यों आई? जिससे उनके गांव के लाल को हमेशा के लिए छीन लिया। परिजनों को जीवन भर नहीं भूलने वाला गम दे दिया।