उत्तर प्रदेश में फैजाबाद और इलाहाबाद का नाम बदले जाने के बाद अब अहमदाबाद का नाम बदलने जाने की मुहीम शुरू हो गई है। लोगों की मांग है कि अहमदाबाद का नाम चालुक्य राजा कर्ण के नाम पर ‘कर्णावती’ कर दिया जाए। लेकिन राज्य के कुछ आदिवासी समूहों का दावा है कि राजा कर्ण ने खुद भील राजा को हटाया था और अगर बीजेपी नाम बदलना चाहती है तो उसे आदिवासी राजा असवाल का सम्मान करना चाहिए न कि कर्ण का। इसके साथ ही आदिवासी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर यह नहीं हो सकता तो नाम ही न बदला जाए।
News18 से बातचीत के दौरान आदिवासी किसान संघर्ष मोर्चा के रोमल सूत्रीय ने बताया , ‘आदर्श स्थिति की बात करें तो सरकारों को नामकरण नहीं करना चाहिए। शहर को अहमदाबाद बुलाना उपयुक्तता का विषय है इसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, अगर वे इसे बदलने जा रहे हैं, तो उन्हें मूल रूप से भील राजा असवाल को सम्मानित करने के लिए इसे नाम में बदलना चाहिए जिन्होंने इस शहर को स्थापित किया।’ उन्होंने कहा,’आप देखें कि बीजेपी का तर्क है कि अहमद शाह एक आक्रमणकारी था जिसने गुजरात को कब्जे में ले लिया था लेकिन हमारा तर्क है कि कर्ण ने खुद आदिवासियों पर हमला किया था। असवाल ने 10 वीं शताब्दी के आसपास साबरमती नदी के पूर्वी तटों पर उनके नाम पर शहर की स्थापना की।जब चालुक्य ने कब्जा किया तो शहर का नाम बदलकर कर्णवती रखा गया था। जब यह दिल्ली सल्तनत के कब्जे में आ गया तो नाम अहमदाबाद हो गया। यदि बीजेपी इतिहास को फिर से लागू करने के लिए गंभीर है, तो उन्हें असवाल नाम देना चाहिए। अन्यथा, यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह सिर्फ उनका हिंदुत्व का एजेंडा है।’ इस मुद्दे पर राज्य के सीएम विजय रुपाणी ने कहा था, ‘बड़े समय से अहमदाबाद का नाम कर्णावती करने की मांग की जा रही है। सरकार इस पर विचार कर रही है। नाम को कानूनी तौर पर बदला जा सकता है या नहीं इस पर परामर्श लिया जा रहा है।’ उन्होंने कहा था कि यह लोकसभा चुनावों से पहले होगा।