यह कहानी है डर की। खौफ की। जिसके बारे में सोचकर आपकी रूह कांप जाएगी। जिसकी शुरुआत होती है चेक गणतंत्र की हाउस्का या हौस्का कैसल यानी किले से। इसके बारे में जानने के लिए आपको अब से बहुत पीछे 13वीं सदी में जाना होगा। यह कोई साधारण किला नहीं है।
इतिहास के अनुसार इस किले का निर्माण एक अंतहीन गड्ढे के ऊपर किया गया। जिसके बारे में खौफनाक सचाई सब जानते थे लेकिन इस को जानते हुए भी यह किला बनवाया गया। अमेरिकियों और रूसियों के खौफ से भागने से पहले नाजियों के 55 गार्ड्स ने भी यहां अपने प्रयोग किये।
ऐसा कहा जाता है कि शक्तिशाली ड्यूबा वंश के एक ड्यूक ने भी इसकी रहस्यमयी कहानियों और नर्क के द्वार का पता लगाने के आदेश दिये। जिसके चलते एक सजायाफ्ता कैदी को उसके अपराधों के लिए पूर्ण क्षमादान देते हुए कहा गया कि यदि वह इस एक लक्ष्य को हासिल कर ले तो उसके सारे गुनाहों को माफ कर दिया जाएगा। जिसके लिए उसे एक रस्से के सहारे सुरंग में उतारा जाएगा और उसने क्या देखा ये लौटकर बताना होगा। कैदी ने इसके लिए हामी भर दी। उस आदमी को रस्से के सहारे गुफा में उतारा जाने लगा। काफी देर तक शांति रही। फिर उस कैदी ने जमीन से काफी गहराई पर बेतहाशा चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया। जब ड्यूक के लोग उसे खींचकर पुनः सतह पर लाये उन्होंने पाया कि उसके बाल पूरे सफेद हो गये थे।
उन्होंने पाया कि वह पूरी तरह पागल हो चुका था। उसके थोड़ी देर बाद ही वह मर गया। कुछ जानकारों का कहना है कि यह प्रयोग कई बार दोहराया गया और हर बार यही नतीजा रहा। इसके बाद 1830 में भी कुछ लोग गये जिन्हें बाद में उनके साथियों ने ही मार दिया। वह कह रहे थे कि कुछ पिक्चर जैसा नजारा देखा था। जिसे कि आज हम सेलफोन, पोर्टेबल टीवी या लैपटाप के रूप में समझ सकते हैं।
खैर चाहे जो कुछ भी हो लेकिन यदि आप वहां जाने की इच्छा रखते हैं तो उसका अंत आपकी मौत के रूप में हो सकता है यह सोचकर फैसला करें।