दरअसल, विवेक तिवारी की हत्या के बाद से सिपाहियों का एक वर्ग आरोपी सिपाही के पक्ष में खड़ा है। पहले आरोपी सिपाही प्रशांत की पत्नी के खाते में पैसे जमा कराने का अभियान छिड़ा और अब पांच अक्टूबर को काला दिवस मनाए जाने और 6 अक्टूबर को इलाहाबाद में अलग-अलग एसोसिएशन की बैठक के मैसेज वायरल हो रहे हैं।
इसी से संबंधित एक पोस्ट पीएसी से संबद्ध सिपाही सर्वेश चौधरी ने फेसबुक पर की थी, जिसमें लिखा था कि ‘मुझे बर्खास्त करो, मैंने दिए हैं सिपाही को पैसे।’ जिसके बाद डीजीपी ने उक्त सिपाही के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
इस मामले में डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने भी सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर भ्रामक सूचनाएं प्रचारित व प्रसारित करने पर कठोर कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने कहा है कि सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस बल में असंतोष फैलाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें कई बर्खास्त सिपाही व सेवारत सिपाहियों के शामिल होने की जानकारी मिली है।
फोर्स में कोई आक्रोश नहीं, अफवाहों को लेकर जारी किया अलर्ट
डीजीपी ने कहा है कि इसमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो फर्जी आईडी के माध्यम से खुद को पुलिस बल का सदस्य दिखाते हुए सोशल मीडिया पर भड़काऊ आपत्तिजनक पोस्ट कर रहे हैं। इस संबंध में हजरतगंज थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
डीजीपी ने बताया कि फेसबुक पर वायरल पोस्ट आपत्तिजनक पाए जाने पर सर्वेश चौधरी को निलंबित कर दिया गया है। मूल रूप से मथुरा का निवासी सर्वेश मौजूदा समय में 25वीं बटालियन पीएसी रायबरेली में संबद्ध है और मूल तैनाती एटा में है।
उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं। डीजीपी ने बताया कि अगर कोई अनुशासनहीनता की घटना घटती है तो उसमें कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। अपराधिक साजिश करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
डीजीपी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया है पुलिस में किसी तरह के असंतोष की स्थिति नहीं है। सभी जिलों में पीएसी वाहिनियों एवं गैरजनपदीय शाखाओं में नियुक्तकर्मी अपना-अपना काम लगन से कर रहे हैं। उधर, इस संबंध में डीजीपी मुख्यालय की ओर से सभी एसएसपी व एसपी को पत्र भेजकर सतर्क दृष्टि बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना न घटने पाए और कानून व्यवस्था की स्थिति बनी रहे।