भारतीय जनता पार्टी जन अपेक्षाओं पर खरा न उतरने वाले सांसदों को लोकसभा चुनाव में मौका नहीं देगी। इससे तो तय है कि प्रदेश से करीब 40 फीसद सांसदों के टिकट कट सकते हैं लेकिन, दिलचस्प यह है कि 2019 के लिए मंत्री और विधायकों के नाम पर भी सहमति नहीं बन पा रही है। उम्मीदवार चयन में भाजपा इस बार लोकप्रियता के पैमाने पर कोई समझौता नहीं करेगी और क्षेत्र में जमीनी स्तर पर काम करने वालों को ही प्राथमिकता मिलेगी।
लोकसभा संचालन टोलियों की प्रदेश भर की 19 बैठकों में साफ संकेत दे दिया गया कि पार्टी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप काम न करने वाले सांसदों को फिर मौका नहीं मिलेगा। सवाल उठना स्वाभाविक है कि उनकी जगह अब किसे मौका मिलेगा। कई सत्रों में चली इन बैठकों में कुछ विधायकों और मंत्रियों को भी लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए संभावनाएं टटोली गई लेकिन, किसी ने हामी भरी तो ज्यादातर ने असहमति ही जताई। दरअसल, लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए कैबिनेट से लेकर राज्यमंत्री और कुछ विधायकों ने नेतृत्व से अपनी इच्छा जाहिर की है। पार्टी स्वयं भी कुछ मंत्रियों को मैदान में उतारने की भूमिका तैयार कर रही है। पर, सक्रिय कार्यकर्ता जमीन से जुड़े लोगों की ही हिमायती कर रहे हैं। टिकट तो दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक में तय होगा लेकिन, बहुत जल्द प्रदेश संगठन की ओर से यह रिपोर्ट भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भेजी जाएगी।
भाजपा की वाह्य और आंतरिक किलेबंदी
भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी की दृष्टि से आंतरिक और वाह्य दोनों स्तर पर किलेबंदी शुरू की है। चुनावी समर के लिए बूथों से लेकर प्रदेश मुख्यालय तक फौज तैयार हो रही है। पार्टी ने लोकसभा संचालन टोलियों के जरिये संभावित उम्मीदवारों के नाम पर मंथन से लेकर विपक्ष को पटखनी देने के नुस्खे पर भी काम शुरू किया है। मुरादाबाद से 26 सितंबर से शुरू हुई भाजपा की लोकसभा संचालन टोलियों की बैठक कल ही गोरखपुर में समाप्त हो गई।
मुरादाबाद में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव ने बैठक ली जबकि गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया। मुरादाबाद और गोरखपुर के अलावा गाजियाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, बरेली, बांदा, झांसी, कानपुर, गोंडा, सीतापुर, लखनऊ, फैजाबाद, वाराणसी, मीरजापुर, इलाहाबाद, बलिया और बस्ती में भी बैठक हुई।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, कहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा ने बैठकों में पहुंचकर संभावनाओं और चुनौतियों पर मंथन किया। सार्वजनिक तौर पर इन बैठकों में लोकसभा चुनाव की तैयारी, सपा-बसपा-कांग्रेस के संभावित गठबंधन से मुकाबला और लोकसभा स्तर पर विकास योजना और समस्याओं को लेकर चर्चा हुई लेकिन, पार्टी के शीर्ष नेताओं ने लोकसभा चुनाव में उतारे जाने वाले उम्मीदवारों के बाबत विचार परिवार, पदाधिकारियों और लोकसभा प्रभारी व प्रमुख के मन की अलग-अलग टोह ली।
जिस जाति का कटेगा टिकट, उसी जाति से होगी भरपाई
भाजपा ने 2014 और 2017 के चुनाव में पिछड़ा और अनुसूचित जाति के संतुलन के साथ ही टिकट बंटवारे में सवर्णों को भी तरजीह दी थी। इस बार भी टिकट बंटवारे में जातीय संतुलन रहेगा। पर, इसमें क्षेत्रवार संतुलन साधने पर भी बल दिया जा रहा है। भाजपा ने मन बनाया है कि जिस जाति के सांसद का टिकट कटेगा, उस जाति के ही उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा। अगर परिस्थितिवश संबंधित सीट पर मौका नहीं दिया जा सका तो दूसरी सीट पर समायोजन होगा।