राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार न मिलने से निराश स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने शुक्रवार को खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से मुलाकात की और कहा कि उन्हें भरोसा है कि उनके मामले पर विचार किया जाएगा
बजरंग ने पीटीआई से कहा, ‘मुझे खेल मंत्री से मिलना था, लेकिन अचानक हमें बीती शाम बैठक के लिए फोन आ गया. मैंने खेल मंत्री से पूछा कि खेल रत्न के लिए मेरे नाम पर विचार नहीं करने का क्या कारण था. उन्होंने कहा कि मेरे इतने अंक नहीं थे, लेकिन यह बात गलत है. मैंने नामित किए गए दो अन्य खिलाड़ियों (विराट कोहली और मीराबाई चानू) से ज्यादा अंक जुटाए हैं.’
24 साल के पहलवान ने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किए. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें शाम तक अनुकूल जवाब नहीं मिलता तो उन्हें न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. बजरंग के साथ बैठक में उनके मेंटर ओलंपिक पदकधारी योगेश्वर दत्त भी गए थे.
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उन्होंने कहा, ‘मुझे न्याय चाहिए. मंत्री ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे, लेकिन पुरस्कार समारोह के लिए इतना कम समय बचा है. मैं सरकार की ओर से जवाब के लिए शाम तक इंतजार करूंगा. अगर मुझे शाम तक अनुकूल जवाब नहीं मिलता है, तो मैं अगले दिन अदालत का दरवाजा खटखटाऊंगा.’
गोल्ड कोस्ट और जकार्ता में स्वर्ण पदकों के अलावा बजरंग ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में रजत पदक जीते थे. उन्होंने 2013 विश्व चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता था, लेकिन इस प्रदर्शन को अंक प्रणाली में शामिल नहीं किया गया क्योंकि अंक प्रणाली 2014 में ही शुरू हुई थी.
इसके अलावा चयन समिति के संदर्भ की शर्तों के अनुसार समिति अपने आप सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले खिलाड़ियों के नाम की सिफारिश राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नहीं कर सकती.
खेल मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि अंतिम समय में इस सूची में नाम शामिल करने की संभावना नहीं है. सूत्र ने कहा, ‘मंत्री ने बजरंग से मुलाकात की और वह उनकी शिकायत सुनना चाहते थे. उन्होंने बजरंग को बताया कि उनके नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया. हालांकि उन्होंने बजरंग को वादा किया कि है वे इस मामले को देखेंगे. लेकिन पुरस्कार सूची में किसी बदलाव की संभावना कम है.’