विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपितों पर आरोप तय करने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है। अब आरोप तय करने पहले अदालत इस बात पर सुनवाई करेगी कि कर्नल श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य छह आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) लगाया जाना उचित है या नहीं।
कर्नल पुरोहित यही मांग लेकर उच्चन्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के चक्कर लगा चुके हैं। दोनों जगह से उनकी मांग यह कहते हुए खारिज कर दी गई थी। विशेष एनआईए अदालत ही इस मामले में फैसला करेगी। एनआईए अदालत द्वारा एक सप्ताह पहले ही सभी आरोपितों पर पांच सितंबर को आरोप तय करने की सूचना दे दी गई थी। लेकिन बुधवार को अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही एक आरोपित पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय ने अदालत से मांग की कि मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले यह निर्णय होना चाहिए कि उन पर यूएपीए लागू हो या नहीं। कर्नल पुरोहित भी उच्चन्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में यही गुहार लगाते रहे हैं कि उनपर यूएपीए गलत तरीके से लागू किया गया है।
मेजर उपाध्याय की बात सुनने के बाद विशेष एनआईए जज विनोद पाडलकर ने आरोपितों पर आरोप तय करने की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी। जज ने कहा कि अब वह अगले सोमवार से सभी आरोपितों के तर्क सुनेंगे। जिसकी शुरुआत कर्नल पुरोहित से होगी। बता दें कि मुंबई उच्चन्यायालय ने एक दिन पहले ही कर्नल पुरोहित द्वारा की गई आरोप तय करने की प्रक्रिया रोकने की मांग ठुकरा दी थी।
गौरतलब है कि 27 दिसंबर, 2017 को एनआईए की विशेष अदालत कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर एवं छह अन्य आरोपियों की इस मामले से बरी करने की याचिका पहले ही ठुकरा चुका है। हालांकि एनआईइए कोर्ट ने उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध निरोधक कानून (एमसीओसीए) के तहत उन पर लगे सभी आरोप निरस्त कर उन्हें बड़ी राहत दी थी। 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोटों में छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।