मंगलवार को गिरफ्तार किए गए पांच में से तीन माओवादी कार्यकर्ताओं को पुणे के सत्र न्यायालय में पेश करते हुए पुणे पुलिस ने न्यायालय को बताया कि ये सभी प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं।
पुणे पुलिस ने आज दोपहर बाद करीब 3.35 बजे मंगलवार को हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए वरवर राव, मुंबई से गिरफ्तार वरनन गोंसवाल्विस एवं ठाणे से गिरफ्तार अरुण परेरा को पुणे के सत्र न्यायालय में पेश किया। कल ही दिल्ली एवं फरीदाबाद से गिरफ्तार दो अन्य माओवादियों गौतम नौलखा एवं सुधा भारद्वाज को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से उनके घरों में ही नजरबंद रखा गया है। उनकी ट्रांजिट रिमांड पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगन दे दिया है। आज अदालत में पेश किए गए 80 वर्षीय वरवर राव पर अभियोजन पक्ष ने नेपाल स्थित हथियार डीलर से सौदेबाजी करने का आरोप लगाया है। जबकि अरुण परेरा पर मावोवादी गतिविधियों के प्रचार-प्रसार एवं युवाओं को माओवादी विचारधारा में लाने का आरोप लगाया है।
अभियोजन पक्ष ने अदालत में उस पत्र की प्रति भी प्रस्तुत की, जिससे राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ है। अभियोजन पक्ष ने यह दावा भी किया कि गिरफ्तार किए गए पांचो आरोपियों ने ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट नामक एक संगठन बनाया बनाया था, जो सरकार गिराना चाहता था। अभियोजन पक्ष के अनुसार पकड़े गए लोगों की पहली प्राथमिकता पहले पकड़े जा चुके नक्सल समर्थक प्रोफेसर जी.एन.साईंबाबा को छुड़ाना है। वे इसके लिए किसी अच्छे वकील की तलाश में थे। अभियोजन पक्ष ने माना कि मंगलवार को पकड़े गए माओवादियों का नाम भीमा-कोरेगांव कांड में दर्ज प्राथमिकी में नहीं है। लेकिन कानूनन यह जरूरी नहीं है कि किसी घटना की पहली प्राथमिकी में ही सभी आरोपियों के नाम हों।
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