सपा नेता आजम खां के बयान को लेकर राज्यसभा सांसद अमर सिंह जितना नाराज आजम से हैं, उससे कहीं अधिक नाराज मुलायम सिंह यादव और सपा मुखिया व पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी हैं।
अमर सिंह ने कहा, मेरी जिस बेटी को अखिलेश बहन मानते थे, उसे तेजाब से जलाने संबंधी आजम के बयान पर पिता-पुत्र की चुप्पी यह समझने के लिए काफी है कि वे कितनी सतही स्तर की राजनीति कर रहे हैं। अमर ने मुलायम को ‘धृतराष्ट्र’ की संज्ञा देते हुए कहा कि मुलायम को अपने जीते जी सपा की सियासी शवयात्रा देखनी पड़ेगी।
अमर सिंह ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने पर कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर को निलंबित कर दिया था, उसी तरह अखिलेश को भी आजम को पार्टी से बाहर करना चाहिए था, लेकिन जो बेटा अपने पिता का न हुआ, वह अपनी मुंहबोली बहन (अमर की बेटी) के लिए ऐसा क्यों करेगा।
शिवपाल के सेकुलर मोर्चा बनाने पर बोले, पिक्चर अभी बाकी है
शिवपाल द्वारा समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने को लेकर पूछे गए सवाल पर अमर बोले, पिक्चर अभी बाकी है। व्यक्तिवादी व परिवारवादी विचारधारा की राजनीति करने वाली सपा में अखिलेश ने जहां पिता को वनवास दे दिया तो रामगोपाल यादव को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। उनकी नाक के बाल कहे जाने वाले नरेश अग्रवाल भी जा चुके हैं। डिम्पल यादव ने राज्यसभा में नरेश वाली जिम्मेदारी अब जया बच्चन को सौंप दी है। मुझे व शिवपाल को पहले ही अलग कर दिया गया। आने वाले समय में सपा शून्य में जाने के कगार पर पहुंच चुकी है।
हमारे बड़े भाई की तरह हैं राजनाथ
आजम खां के विश्वविद्यालय से संबंधित मामले में गृहमंत्री राजनाथ सिंह को लेकर दिए गए बयान पर सफाई देते हुए अमर सिंह बोले, मैंने राजनाथ के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। वह तो हमारे बड़े भाई की तरह हैं। मैंने तो बस इतना कहा था कि आजम के विश्वविद्यालय को मिल रहे अनुदान की जांच प्रक्रिया तेज कराएं।
राष्ट्रवादी सोच के कारण भाजपा के प्रति बदला नजरिया
भाजपा के प्रति नजरिया बदलने की वजह के बारे में पूछे जाने पर अमर सिंह ने कहा कि भाजपा की सोच राष्ट्रवादी है और दत्तात्रेय होसबोले व संजय जोशी जैसे विचारकों से भी उनका दशक पुराना संबंध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वह व्यक्तिगत रूप से बंधे हैं। इस वजह से उन्होंने मोदी के जीएसटी और नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया था।
अमर सिंह ने यह भी साफ किया कि वह 2019 में लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि उनका राज्यसभा का कार्यकाल ही 4 साल बचा है।