श्रीनगर। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम ने पुलवामा में कई जगह पोस्टर लगाए हैं। जिसमें कहा गया है कि कश्मीरी पंडित या तो घाटी छोड़ दें या फिर मरने के लिए तैयार रहें। बता दें कि कश्मीर में साल 1990 में हथियारबंद आंदोलन शुरू होने के बाद लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर बार छोड़ कर चले गए थे, उस वक्त हुए नरसंहार में सैकड़ों कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम हुआ था।
कश्मीरी पंडित को घाटी छोड़ने के लिए धमकाया गया
कश्मीर में हिंदुओं पर कहर टूटने का सिलसिला 1989 जेहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी ने शुरू किया था। जिसने कश्मीर में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया। उसने नारा दिया हम सब एक, तुम भागो या मरो। इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी। करोड़ों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद छोड़कर रिफ्यूजी कैंपों में रहने को मजबूर हो गए।
घाटी में कश्मीरी पंडितों के बुरे दिनों की शुरुआत सितम्बर 14, 1989 से हुई। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और वकील कश्मीरी पंडित, तिलक लाल तप्लू की जेकेएलएफ ने हत्या कर दी। इसके बाद जस्टिस नील कांत गंजू की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गयी। उसके बाद 300 से अधिक हिन्दू महिलाओँ और पुरुषों की हत्या की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ आतंकियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी हत्या कर दी। घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए। हालात बदतर हो गए। एक स्थानीय उर्दू अखबार, हिज्ब – उल – मुजाहिदीन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की- ‘सभी हिन्दू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएं’।
एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा, ने इस निष्कासन के आदेश को दोहराया। मस्जिदों में भारत एवं हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं। कश्मीरी पंडितों के घर के दरवाजों पर नोट लगा दिया जिसमें लिखा था ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ दो। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से अलग होने के लिए भड़काना शुरू कर दिया। इस सबके बीच कश्मीर से पंडित रातों -रात अपना सबकुछ छोड़ने के मजबूर हो गए।