भारत की मशहूर महिला मुक्केबाज मैरी कॉम आज अपना 35वां जन्मदिवस मना रही हैं. 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में पैदा हुई मैरी कॉम आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं. मैरी कॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम हैं. मैरी कॉम ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट हेवियर स्कूल से पूरी की. जबकि, आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने इम्फाल की ओर रूख किया. लेकिन, वह परीक्षा में असफल होने पर उन्होंने स्कूल छोड़ दिया. और इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा दी.
मैरी कॉम ने अपने बॉक्सिंग करियर में कई कीर्तिमान रचे हैं. मैरी कॉम का बचपन से ही बॉक्सिंग के प्रति काफी लगाव था. मैरी कॉम ने एक बार 1999 में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग करते हुए देखा था, तब से बॉक्सर बनने का सपना उनके मन में पलने लगा था. उन्होंने कहा था कि, “मैं वह नजारा देख कर स्तब्ध थी. मुझे लगा कि जब वे लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती है तो मैं क्यों नहीं.” मैरी कॉम की उपलब्धियों से प्रभावित होकर एआइबीए ने उन्हें मॅग्नीफ़िसेन्ट मैरी (प्रतापी मैरी) का संबोधन दिया था. मैरी कॉम केवल मुक्केबाजी तक ही सीमित नहीं हैं. बॉलीवुड में भी उनके चर्चे काफी मशहूर है. हिंदी सिनेमा में साल 2014 में उनके मुक्केबाजी करियर पर आधारित एक फिल्म ”मैरी कॉम” भी बन चुकी है. जिसमे उनका रोल बॉलीवुड की प्रसिद्द अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने निभाया था. यह फिल्म काफी हिट साबित हुई थी.
मैरी कॉम 5 बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता के खिताब से नवाजी जा चुकी है. जबकि, 2012 लन्दन ओलम्पिक के दौरान उन्होंने कांस्य पदक और 2010 के ऐशियाई खेलों में काँस्य तथा 2014 के एशियाई खेलों में मैरी कॉम ने स्वर्ण पदक भी अपने नाम किया हैं. मैरी कॉम ने पहली बार साल 2001 में नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप का ख़िताब अपने नाम किया था. भारत सरकार की ओर से मैरी कॉम को वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार जबकि, साल 2006 में पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका हैं. मैरी कॉम अब तक कुल 10 राष्ट्रीय खिताब अपने नाम कर चुकी हैं.