अब नए आंदोलन में नजर आएंगे अन्ना हजारे, चुनाव सुधार के लिए निकालेंगे राष्ट्रीय यात्राअब नए आंदोलन में नजर आएंगे अन्ना हजारे, चुनाव सुधार के लिए निकालेंगे राष्ट्रीय यात्रा

अब नए आंदोलन में नजर आएंगे अन्ना हजारे, चुनाव सुधार के लिए निकालेंगे राष्ट्रीय यात्रा

भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे समाजसेवी अन्ना हजारे जल्द ही देश के सामने एक नए आंदोलन का नेतृत्व करते नजर आएंगे। सोमवार को अन्ना हजारे ने ऐलान किया है कि चुनाव सुधार के मामलों को लेकर वे जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की यात्रा निकालेंगे। अब नए आंदोलन में नजर आएंगे अन्ना हजारे, चुनाव सुधार के लिए निकालेंगे राष्ट्रीय यात्राअब नए आंदोलन में नजर आएंगे अन्ना हजारे, चुनाव सुधार के लिए निकालेंगे राष्ट्रीय यात्राअन्ना हजारे की मांग है कि आम मतदान सिंबल के बिना होने चाहिए। उनकी दलील है कि चुनाव व्यक्ति का होता है सिंबल का नहीं। इसलिए मतदान मशीन अथवा बैलेट पर महज उम्मीदवार का नाम छपा होना चाहिए, सियासी दलों का चुनाव निशान नहीं। 
उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां लगभग हर चुनाव अपने चुनाव निशान पर लड़ती हैं। ये संवैधानिक रूप से गलत है। हजारे ने कहा कि चुनाव व्यक्ति का होता है, इसमें व्यक्ति का महत्व है। चुनाव निशान का नहीं। उन्होंने देश के चुनाव बिना चुनाव निशान के कराने पर जोर दिया। 

अन्ना का नारा, चिन्ह हटाओ तो लोकतंत्र आएगा

अब तक भ्रष्टचार के खिलाफ कड़े कानून और लोकपाल के मुद्दे को लेकर ताल ठोकने वाले अन्ना हजारे ने अब अपनी अगली यात्रा के लिए नया नारा गढ़ा है। चुनाव सुधार के कदमों को लेकर अपनी प्रस्तावित राष्ट्रीय यात्रा के लिए अन्ना ने चिन्ह हटाओ तो लोकतंत्र आएगा सरीखा नया नारा दिया है। उनकी यह यात्रा कश्मीर से शुरू होकर कन्याकुमारी तक जाएगी। 

हालांकि अन्ना ने यात्रा की तिथि का अभी ऐलान नहीं किया है। अन्ना ने कहा है कि उन्होंने इस मामले में चुनाव आयोग से भी मुलाकात की है। मगर चुनाव आयोग ने अपनी गलती स्वीकारते हुए इस कदम को दुरूस्त करने में मजबूरी जताई है। बतौर अन्ना आयोग ने कहा है कि चुनाव निशान पर मतदान कराने की व्यवस्था वैसे संविधान में नहीं है। मगर यह व्यवस्था 1952 से ही लागू है। इसलिए इसमें बदलाव करना अभी संभव नहीं है। 

अन्ना के जुबां पर नहीं आया लोकपाल का नाम 

नए आंदोलन का ऐलान करते हुए अन्ना हजारे ने चिन्ह हटाओ तो लोकतंत्र आयेगा सरीखे नए मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय यात्रा निकालने की घोषणा तो कर दी है। मगर लोकपाल सरीखे अपनी अहम पुरानी मांग पर वे मौन रहे। जिसकी वजह से अन्ना पर भगवा परिवार के हाथ में खेलने का सियासी आरोप लग रहा है।

लोकसभा चुनाव 2014 से पहले देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने में अन्ना के आंदोलन की भूमिका बेहद अहम थी। तब उन्होंने लोकपाल की मांग को लेकर दिल्ली और देश में बड़ा आंदोलन किया था। मगर अभी वे इस मुद्दे पर मौन नजर आ रहे हैं। बल्कि चुनाव सुधार की वकालत पीएम मोदी की तरफ से अक्सर उठाई जाती है। अब अन्ना ने भी चुनाव सुधार को लेकर यात्रा निकालने का ऐलान किया है। जिससे उन पर अपरोक्ष रूप से भाजपा का साथ देने का आरोप लग सकता है। 

अन्ना के आयोजन में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष 

अन्ना ने जिस आयोजन में अपनी नए आंदोलन का ऐलान किया उस आंदोलन के मुख्यकर्ता-धर्ता संघ और भाजपा से जुड़े लोग रहे। सोमवार को संपन्न आयोजन भारतीय मतदाता संगठन के बैनर तले था।जिसकी मुख्य मांग एक राष्ट्र, एक मतदान है।

पीएम मोदी एक राष्ट्र, एक मतदान की खुलेआम वकालत कर चुके हैं। भारतीय मतदाता संगठन की ओर से पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मांगे राम गर्ग, भगवा परिवार के नजदीक दिखने वाले ऋषभ चंद जैन और कांग्रेस की शिला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे रमा कांत गोस्वामी आयोजन में शामिल थे।

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