प्रसिद्ध रचनाकार दूधनाथ सिंह का गुरुवार देर रात निधन हो गया. वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और इलाहाबाद के फीनिक्स हॉस्पिटल में भर्ती थे. कैंसर से पीड़ित दूधनाथ सिंह को बुधवार को हार्टअटैक आया, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. कैंसर होने की वजह से उनका इलाज एम्स में भी चल रहा था.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दूधनाथ सिंह की इच्छा के मुताबिक उनकी आंखें मेडिकल कॉलेज को दान की जाएगी. उनके बेटे अनिमेष ठाकुर, अंशुमन सिंह और बेटी अनुपमा ठाकुर ने यह फैसला किया है. निधन के बाद गुरुवार रात में ही दूधनाथ सिंह का पार्थिव शरीर प्रतिष्ठानपुरी झूंसी स्थित आवास पर ले जाया गया और आज रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बता दें कि दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को यूपी के बलिया में हुआ था. वो अपनी रचनाओं में उपन्यास, कहानी, नाटक संस्मरण, कविता, आलोचना विधा शामिल है. उनकी प्रमुख कृतियों में आखिरी कलाम जैसे उपन्यास, सपाट चेहरे वाला आदमी जैसे कहानी संग्रह और अगली शताब्दी के नाम जैसे कविता संग्रह शामिल है. दूधनाथ सिंह ने अपनी कहानियों के माध्यम से साठोत्तरी भारत के पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं मानसिक सभी क्षेत्रों में उत्पन्न विसंगतियों को चुनौती दी थी.
दूधनाथ सिंह को भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और कई राज्यों का हिंदी का शीर्ष सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है.
उनकी प्रमुख कृतियां-
उपन्यास- आखिरी कलाम, निष्कासन, नमो अंधकारम्
कहानी संग्रह- सपाट चेहरे वाला आदमी, सुखांत, प्रेमकथा का अंत न कोई, माई का शोकगीत, धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे, तू फू, कथा समग्र
कविता संग्रह- अगली शताब्दी के नाम, एक और भी आदमी है, युवा खुशबू, सुरंग से लौटते हुए (लंबी कविता)
नाटक- यमगाथा
आलोचना- निराला : आत्महंता आस्था, महादेवी, मुक्तिबोध : साहित्य में नई प्रवृत्तियाँ
संस्मरण- लौट आ ओ धार
साक्षात्कार- कहा-सुनी
संपादन- तारापथ (सुमित्रानंदन पंत की कविताओं का चयन), एक शमशेर भी है, दो शरण (निराला की भक्ति कविताएँ), भुवनेश्वर समग्र, पक्षधर (पत्रिका – आपात काल के दौरान एक अंक का संपादन, जिसे सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया)