हर इंसान अपने जीवन में आ रही समस्याओं से परेशान होता है कुछ लोग इन सारी समस्याओं से लड़ जाते हैं तो कुछ लोग खुद ही बिखर जाते हैं। जीवन में परेशानी कैसी भी हो सकती है? अब चाहे वह छोटी हो या बड़ी, समाधान हर समस्या का होता है। इस संसार में ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका समाधान न हो। लेकिन अक्सर लोग इन समस्याओं से लड़ने की बजाए खुद ही परेशान हो जाते हैं और इतने ज्यादा परेशान हो जाते है कि खुद को ही खत्म करना समस्या का समाधान समझने लगते हैं। जी हां परेशान होकर कुछ लोग आत्महत्या कर बैठते हैं जो कि सरासर गलत होता है। क्या आप जानते हैं जो लोग आत्महत्या कर लेते हैं उनके साथ मरने के बाद क्या होता है आज यहां पर हम आपको शास्त्रों के मुताबिक कुछ ऐसे ही विषय पर बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ने के बाद आप भी अपने मन से यह विचार निकालकर समस्या के समाधान में लग जाएंगे।
आत्महत्या करके लोग प्रकृति के विपरीत कदम उठाते है। इंसान की मृत्यु होना स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन उसका एक निर्धारित समय होता है बस जाने का तरीका अलग-अलग होता है लेकिन जो लोग इस नियम के विपरीत जाकर समय से पहले ही अपनी मृत्यु निर्धारित करते है उन्हें भला मुक्ति कैसे मिल सकती है?
आत्महत्या के बाद आत्मा अधर में लटक जाती है ना तो वो स्वर्ग या नरक जा पाती है और ना ही वह जीवन में वापस आ पाती है। बस भटकती रहती है ऐसे में वह अतृप्त होती जाती है वह तब तक अपने स्थान पर नहीं जाती जब तक उसका समय नहीं हो जाता है। मानव जीवन के कुल सात चरण होते है।
जिन्हें पूरा करने पर स्वतः ही इंसान की मृत्यु हो जाती है ऐसे में प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही मृत्यु हो जाने से वो प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती और जब तक वह पूरी नहीं होती, आत्मा यूँ ही अकेली भटकती रहती है और जीवन में वापिस जाने की लालसा और अपनी ख्वाशिओं के अधुरेपन के दुखों से कष्टों में रहती है और अपने परिजनों को भी परेशान करती है।