
लेकिन बैंक को इस जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है कि उसके कर्मचारियों ने जरूरी नियम का पालन नहीं किया और चेक को क्लीयर करने में लापरवाही बरती। इसी केमद्देनजर पीठ ने कहा कि कंपनी को उसके द्वारा क्लेम की गई पूरी राशि(1.5 करोड़ रुपये) नहीं मिल सकती। पीठ ने कहा कि ऐसे मामले में बैंक की पूरी तरह तो जवाबदेह नहीं माना जा सकता क्योंकि चेक को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी कंपनी की थी। पीठ ने कहा कि उचित यह रहेगा कि बैंक कंपनी को 50 लाख रुपये अदा करें। बैंक को एक महीने के भीतर यह रकम कंपनी को देने का निर्देश दिया गया है।
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