8000 कर्मचारियों को योगी सरकार का तगड़ा झटका अब नहीं मिलेगा…

प्रदेश के पंचायतीराज विभाग ने ग्राम पंचायत अधिकारियों को पिछले कई वर्षों से दिए जा रहे मोटर साइकिल भत्ते के भुगतान पर तत्काल प्रभाव रोक लगा दी है। इससे दिसंबर के वेतन से कर्मियों को मोटर साइकिल भत्ते का भुगतान नहीं हो पाएगा।

निदेशक के इस आदेश से संवर्ग के 8000 से अधिक कर्मियों को तगड़ा झटका लगा है। ग्राम पंचायत अधिकारियों में इस फैसले से जबर्दस्त नाराजगी है। ग्राम पंचायत अधिकारियों को पूर्व में साइकिल भत्ते के रूप में 100 रुपये प्रतिमाह दिया जाता था।

लंबी मांग व लिखापढ़ी के बाद पंचायतीराज विभाग ने 18 नवंबर 2014 को शासन के पांच नवंबर 2014 के पत्र व वित्त सामान्य अनुभाग-2 के 16 नवंबर 2012 को जारी शासनादेशों के अनुसार ग्राम पंचायत अधिकारियों को मोटर साइकिल भत्ते के भुगतान का आदेश जारी किया था।

इस आदेश के बाद ग्राम पंचायत अधिकारियों को साइकिल के स्थान पर मोटर साइकिल भत्ते के रूप में 700 रुपये प्रतिमाह भुगतान शुरू  हो गया। मौजूदा निदेशक पंचायतीराज डा. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने मोटसाइकिल भत्ता भुगतान करने के आदेश के पांच वर्ष बाद 13 दिसंबर, 2019 को एक नया आदेश जारी किया है।

इसमें कहा है कि वित्त विभाग के शासनादेश में वाहन भत्ते के संबंध में वित्तीय नियम संग्रह खंड-3 के नियम-82 तथा शासन द्वारा वाहन भत्ते की अनुमन्यता के संबंध में समय-समय पर जारी शासनादेशों के अनुसार कार्यवाही का निर्देश है। वित्त विभाग के इन नियमों के अंतर्गत विभाग का ग्राम पंचायत अधिकारी संवर्ग शामिल नहीं है।

ऐसे में यदि वित्त विभाग के शासनादेश के क्रम में यदि ग्राम पंचायत अधिकारी संवर्ग के कार्मिकों को वाहन भत्ते का भुगतान किया जा रहा है तो वह नियमानुकूल नहीं है।

पंचायतीराज निदेशक ने प्रदेश में समस्त जिला पंचायत राज अधिकारियों को वित्त विभाग केशासनादेश की व्यवस्था के विरुद्ध ग्राम पंचायत राज अधिकारियों को दिए जा रहे वाहन भत्ते का भुगतान तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया है।

कर्मचारियों को बेईमानी के लिए प्रेरित करना चाह रहा विभाग: कमल किशोर

ग्राम पंचायत अधिकारियों का मोटर साइकिल भत्ता समाप्त करने का आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक और गलत है। मौजूदा स्थिति में पंचायत सेक्रेटरी पर काम का इतना भार है कि साइकिल से चलकर काम संभव नहीं है। एक-एक सेक्रेटरी के पास कई-कई गांवों की जिम्मेदारी है।

लंबे समय तक आंदोलन और मांग तथा शासन से लेकर निदेशालय तक  विचार-विमर्श के बाद मोटर साइकिल भत्ता की मंजूरी दी गई थी। अचानक निदेशक ने भत्ते पर रोक संबंधी आदेश जारी कर दिया है।

सवाल ये है कि क्या कर्मचारी अपने वेतन से मोटरसाइकिल में पेट्रोल भरवाकर सरकारी काम करेंगे। निदेशक के आदेश से लगता है कि वह बिना कुछ कहे कर्मचारियों को बेईमानी करने के लिए प्रेरित करना चाह रहे हैं। यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे संवर्ग के कर्मचारियों में बड़ी नाराजगी है। जल्दी ही संघ की बैठक कर इस संबंध में विचार-विमर्श किया जाएगा।

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