आप सभी को बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से पुकारते हैं और यह इस साल 08 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाई जाने वाली है. ऐसे में देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी पुकारते हैं. आपको बता दें कि हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु योग निद्रा से निवृत हो जाते हैं और स्वयं को लोक कल्याण के लिए समर्पित करते हैं. इसी के साथ देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास खत्म हो जाता है और इसके बाद से ही विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. कहते हैं इस दिन सभी देवता योग निद्रा से जग जाते हैं.

शुभ मुहूर्त – एकादशी तिथि का प्रारंभ- 07 नवंबर को सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
आप सभी जानते ही होंगे देवउठनी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु समेत सभी देवता योग निद्रा से बाहर आते हैं, ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु समेत अन्य देवों की पूजा करते हैं और देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह भी करवाते हैं. इसी के साथ इस दिन दान, पुण्य आदि का भी विशेष फल मिलता है.
देवउठनी एकादशी का मंत्र
“उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुणध्वज.
उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु..”
आपको बता दें कि 12 जुलाई दिन शुक्रवार को देवशयनी एकादशी थी और इस दिन श्री विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले गए थे जो देवउठनी एकादशी को जागने वाले हैं.
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