वैश्विक मंच पर फ्रांस और अमेरिका भारत के दो सबसे अहम रणनीतिक साझीदार देश हैं। बहुत कम होता है कि भारतीय प्रधानमंत्री एक साथ इन दोनों देशों की यात्रा पर गए हों। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को इन दोनों देशों की यात्रा के पहले चरण में पेरिस पहुंचे। मंगलवार को वह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ एआई एक्शन समिति की तीसरी बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे।
युद्धक विमान पर होगी बात
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और मैक्रों के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी जिसमें दोनों देशों के रिश्तों से जुड़े कुछ अहम समझौतों को अंतिम रूप दिया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच फ्रांस से नए युद्धक विमानों की खरीद और फ्रांस के सहयोग से भारत में छोटे परमाणु ऊर्जा रिएक्टर लगाने को लेकर वार्ता काफी अहम मानी जा रही है।
आईटी कंपनियों के प्रमुखों से होगी बात
विमान में सवार होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के बारे में कहा, ‘एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करते हुए एआई प्रौद्योगिकी और आम जनता के लिए सुरक्षित व भरोसेमंद तरीके से एआई के इस्तेमाल को लेकर वैश्विक नेताओं और आईटी कंपनियों के प्रमुखों से बात होगी।
मित्र राष्ट्रपति मैक्रों के साथ वर्ष 2047 के लिए भारत व फ्रांस की रणनीतिक साझीदारी के रोडमैप पर बात करने का अवसर मिलेगा। हम फ्रांस के ऐतिहासिक शहर मार्शेले का दौरा भी करेंगे जहां भारत के पहले कंसुलेट का उद्घाटन किया जाएगा।’
मैक्रों के भोज में शामिल होंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मजारगेज युद्ध स्मारक का दौरा भी करेंगे जहां विश्वयुद्ध एक व दो में मारे गए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी अपने सम्मान में राष्ट्रपति मैक्रों की तरफ से दिए गए भोज में भी हिस्सा लेंगे। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, मोदी और मैक्रों के बीच होने वाली मुलाकात में रक्षा सहयोग का एजेंडा व्यापक होगा।
राफेल के नए बेड़े खरीद पर होगी वार्ता
खास तौर पर युद्धक विमान राफेल के नए बेड़े की खरीद और स्कोर्पियन वर्ग की छह पनडुब्बी भारत में बनाने के प्रोजेक्ट पी-75 की समीक्षा की जाएगी। साथ ही बेहद अत्याधुनिक (अगले जेनरेशन की) युद्धक विमानों में इस्तेमाल होने वाले इंजन के निर्माण को लेकर दोनों देशों में होने वाली वार्ता की भी समीक्षा होगी। दोनों नेता भारत व फ्रांस की तीसरे देशों के साथ त्रिपक्षीय सहयोग समझौतों की भी समीक्षा करेंगे।
100 देशों की हस्तियां लेंगी हिस्सा
भारत और फ्रांस ने अभी ऑस्ट्रेलिया, यूएई और इंडोनेशिया के साथ तीन अलग-अलग त्रिपक्षीय संगठन स्थापित किए हैं। इस द्विपक्षीय वार्ता के बावजूद मोदी और मैक्रों के बीच एआई नियमन को लेकर होने वाली बैठक काफी महत्वपूर्ण होने जा रही है। एआई एक्शन समिट में दुनिया के 100 देशों की प्रमुख हस्तियों के हिस्सा लेने की संभावना है। इसमें अमेरिका और चीन के उपराष्ट्रपतियों जेडी वेंस और झांग गुओकिंग के अलावा कई देशों की सरकारों के प्रमुख हिस्सा लेंगे।
क्या है एआई एक्शन समिट का उद्देश्य?
अभी जबकि एआई में अमेरिका और चीन के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा की शुरुआत हो चुकी है, तब एआई एक्शन समिट के नतीजों पर सभी की नजर होगी। बैठक का एक उद्देश्य यह भी है कि एआई के विकास में और देश भी जुड़ें एवं यह क्षेत्र सिर्फ अमेरिका व चीन की प्रतिस्पर्धा न बनकर रह जाए। अमेरिकी उपराष्ट्रपति के तौर पर वेंस की यह पहली विदेश यात्रा है जिसमें उनकी पत्नी उषा और तीनों बच्चे भी उनके साथ हैं।
भारत एक ट्रेनिंग सुपरपावर: मैक्रों
मैक्रों ने एक साक्षात्कार में प्रौद्योगिकी और शिक्षा में भारत की ताकत पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा, ”भारत एक ट्रेनिंग सुपरपावर है। एक वर्ष में 10 लाख इंजीनियर, जो संयुक्त रूप से अमेरिका और यूरोप से भी अधिक है।” एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”हम अपनी प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करना चाहते हैं ताकि वे विदेश जा सकें, लेकिन उन्हें घर पर भी रहना चाहिए।”