आप सभी को बता दें कि हर साल आंवला नवमी आती है और इसे कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है. ऐसे में इस नवमी को अक्षय नवमी भी कहते है. वहीं आंवला नवमी का पर्व इस साल 5 नवंबर को है और इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए पूजा करती हैं. इसी के साथ आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी प्रथा है और इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और उसे ग्रहण करने का विशेष महत्व माना जाता है.
इसी के साथ आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी. कहते हैं आंवला नवमी पर बहुत से लोग मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं और संतान प्राप्ति के लिए की गई पूजा पर वृत भी रखते है और इस दिन रात में भगवान विष्णु को याद करते हुए जगराता करते हैं. कहा जाता है महिलाओं को इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके आंवले के पेड़ पर जाना चाहिए और उसके आस-पास सफाई करके पेड़ की जड़ में साफ पानी चढ़ाना चाहिए और इसके बाद पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए.
कहते हैं इस दिन पूजन की सामग्रियों से पेड़ की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें. अब पूजन के बाद परिवार और संतान की सुख-समृद्धि की कामना करके पेड़ के नीचे बैठकर परिवार व मित्रों के साथ भोजन ग्रहण करना चाहिए.