Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना शून्य हो गई है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर पिछले कई दिनों से जारी खींचतान सोमवार को पूरी तरह से खत्म हो गई। दरअसल, AAP मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गठबंधन से साफ इनकार कर दिया है। इससे पहले रविवार को ही एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा था कि गठबंधन पर शीला दीक्षित की बात मान ली गई है और राहुल गांधी गठबंधन नहीं करने का मन बना चुके हैं। आइये 5 प्वाइंट्स में जानते हैं कि क्यों AAP-कांग्रेस में गठबंधन नहीं हो सका।
1. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Delhi Pradesh Congress Committee) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम शीला दीक्षित यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से बड़ी पार्टी है। यही वजह है कि वे बराबर गठबंधन को लेकर आलाकमान के समक्ष विरोध दर्ज कराती रही हैं।
2. शीला दीक्षित पहले भी कई बार कह चुकी हैं कि दिल्ली के चुनाव में AAP के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो पार्टी के लिए घातक होगा।
3. वर्ष 2019 में ही लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव तो 2020 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी दोनों ही राज्यों में AAP से गठबंधन की सूरत में क्या जवाब देगी।
4. दिल्ली में आम आदमी पार्टी का जनाधार खिसक रहा है तो कांग्रेस का वापस आ रहा है, ऐसे में दिल्ली के स्थानीय नेताओं का मानना है कि लोकसभा में AAP से तालमेल न करके अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
5. जिस कांग्रेस ने 15 साल तक लगातार दिल्ली की सत्ता पर एकछत्र राज किया, ऐसे में इस पार्टी का AAP के संग गठबंधन एक तरह से ‘हार’ की तरह ही होगा।
यहां पर बता दें कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के निवास पर शनिवार देर रात तक तीनों कार्यकारी अध्यक्षों समेत तमाम वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की बैठक हुई थी। इसमें गठबंधन को एक बार फिर नकारते हुए तमाम नेताओं ने संभावित प्रत्याशियों के नामों का चयन किया था। यह अलग बात है कि इन नामों का ऐलान होना बाकी है। शायद गठबंधन के पूरी तरह खारिज होने का इंतजार किया जा रहा है।