केंद्र सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए 24 अप्रैल, 2021 को सुबह आठ बजे तक भारत में 13 करोड़ से ज्यादा टीके दिए जा चुके हैं। दुनिया में किसी भी और देश ने 13 करोड़ लोगों को इतनी तेजी से वैक्सीन नहीं दिया है। लेकिन देश की बड़ी जनसंख्या को देखते हुए यह नाकाफी है। अचरज की बात यह है कि एक तरफ जहां देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या रोजाना रिकार्ड बना रहा है, तो वहीं पिछले कुछ दिनों से वैक्सीन लेने वालों की संख्या घट रही है। कोरोना के हालात पर एसबीआइ की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा रफ्तार से दिसंबर, 2021 तक ही 15 फीसद आबादी को दोनों डोज वैक्सीन लगाई जा सकेगी। दूसरी तरफ लगभग 21 करोड़ आबादी को दोनों डोज वैक्सीन देकर अमेरिका 25 फीसद का आंकड़ा पा चुका है तो लगभग चार करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन कर इंगलैंड 15 फीसद के पास पहुंच चुका है।
भारत में वैक्सीन की इस सुस्त रफ्तार के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं। आम जनता के बीच वैक्सीन को लेकर ऊहापोह और बेवजह डर की स्थिति भी एक कारण रही है। लेकिन अभी वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने को भी एक अहम कारण माना जा रहा है। कारण जो भी है दुनिया के तमाम बड़े महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी संख्या में ढांचागत सुविधा लगाने के साथ आक्रामक तरीके से वैक्सीन कार्यक्रम को विस्तार देने से ही मौजूदा संकट से निकला जा सकेगा। अमेरिकी सरकार के प्रमुख मेडिकल एडवाइजर डा. एंथोनी फौसी ने शुक्रवार को कहा कि भारत बेहद खराब दौर से गुजर रहा है, लेकिन उसे टीकाकरण बढ़ाने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस आधनोम घेबरेसस ने भी भारत को वैक्सीन पर जोर देने को कहा है।
सरकार इस पर जोर दे भी रही है। एसबीआइ की नई अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक 13 मार्च, 2021 के बाद से देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी बढ़ी, लेकिन यह 22 मार्च, 2021 के बाद से फिर से धीमी पड़ गई। 13 मार्च, 2021 को सबसे ज्यादा 34.1 लाख टीके लगाए गए, लेकिन यह फिर घट कर 26-27 लाख पर आ गया है। गोवा, झारखंड, असम, दिल्ली, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इसकी रफ्तार बहुत ही धीमी है और इसके लिए लोगों में वैक्सीन को लेकर उपजा संदेह सबसे बड़ा कारण है। हालांकि सरकार व विशेषज्ञों की तरफ से लगातार इसे दूर करने की कोशिश की जा रही है।
एसबीआइ रिपोर्ट का मानना है कि महाराष्ट्र अपने पीक पर पहुंच चुका है और अब वह उतार पर है, जबकि बाकी देश में पीक पहुंचने में 15-20 दिन का वक्त लगेगा और इसका बड़ा कारण भी टीकाकरण में सुस्ती है। रिपोर्ट ने 1918 के स्पेनिश फ्लू का भी उदाहरण दिया है और बताया है कि बाद के लहर में ज्यादा मौत होती है। इसीलिए टीकाकरण की गति तेज होनी ही चाहिए।