सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के निर्माण का कार्य लगभग 40 प्रतिशत पूरी हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले विधिवत पूजा-अर्चना कर इसका शिलान्यास किया था। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि दिसंबर 2023 से दुनिया भर के भक्त भगवान राम की पूजा कर सकते हैं। ट्रस्ट के अधिकारियों ने यह भी कहा कि मंदिर के चारों ओर की सड़कों को सुधारने के लिए निर्माण कार्य भी जोरों पड़ है।
चंपत राय ने कहा, “मंदिर निर्माण का 40 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो गया है। प्लिंथ का 80 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है। मंदिर में दर्शन दिसंबर 2023 से शुरू होने की संभावना है।” आपको बता दें कि देश में अगला लोकसभा चुनाव 2024 में होना है।
चंपत राय खुद अयोध्या के कारसेवक पुरम में डेरा जमाए हुए हैं और निर्माण कार्य की देखरेख कर रहे हैं। वह लगातार बैठकें करते हैं और हर दिन प्रगति की समीक्षा करते हैं।
निर्माण में उपयोग किए गए धन के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर चंपत राय ने कहा, “भगवान के कार्य के लिए धन की कमी नहीं होती है। भगवान के चरणों में लक्ष्मी बैठी रहती हैं।” ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक, मंदिर की कम से कम एक हजार साल तक लंबी उम्र और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बड़ी नींव रखी गई है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में मकराना पहाड़ियों से सफेद संगमरमर का उपयोग मंदिर के गर्भगृह के अंदर किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि संगमरमर की नक्काशी का काम प्रगति पर है और कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक पहले ही अयोध्या लाए जा चुके हैं।
राम मंदिर निर्माण में प्राचीर के लिए लगभग आठ से नौ लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा। चंपत राय ने कहा कि इसके अलावा प्लिंथ के लिए 6.37 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट का इस्तेमाल होगा। मुख्य मंदिर लगभग 4.7 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर से तैयार किया जाएगा। वहीं, गर्भगृह के निर्माण के लिए मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर का 13,300 घन फीट इस्तेमाल किया जाएगा। फर्श और आवरण के लिए मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर का 95,300 वर्ग फीट इस्तेमाल किया जाएगा।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था। इससे पहले 9 नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था।
योजना के तहत राम मंदिर के आसपास 70 एकड़ क्षेत्र में वाल्मीकि, केवट, शबरी, जटायु, सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर भी बनाए जाएंगे। मंदिर निर्माण के साथ ही प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर की ओर जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए दुकानों व मकानों को तोड़ने का कार्य भी किया जा रहा है।