जो बदमाशी बचपन में माफ़ है, उसे जवानी में नहीं दोहराया जा सकता. जो तेज़ी जवानी में होती है, उसे बुढ़ापे में हासिल करना मुशकिल है.

30 उम्र का वह पड़ाव है जब इंसान अनुमानत: अपनी आधी ज़िंदगी जी चुका होता है. उससे परिपक्वता की उम्मीद की जाती है, ज़िम्मेदारिया बढ़ जाती हैं. ऐसे में ये कुछ अहम चीज़े हैं, जो ज़िंदगी के 30वें में दाखिल होने से पहले इंसान को समझ और सीख लेनी चाहिए ताकी वो अपने आगे की ज़िंदगी सरलता से जी सकें.
स्वास्थ्य समस्याओं को टाले नहीं
स्वास्थ्य ऐसी चीज़ है जिसे कभी भी दरकिनार नहीं करना चाहिए. फिर भी इस उम्र में स्वास्थ्य परेशानियों को संजीदगी से लेने की ज़रूरत है. ये समस्याएं शारीरिक भो हो सकती हैं और मानसिक भी.
कई बार कुछ ऐसे तनाव घर कर जाते हैं जिसका असर पूरी ज़िंदगीभर रहता है. ये उम्र ज़िम्मेदारियों को उठाने की है लेकिन उसे बोझ बनाना भी उचित नहीं होगा. इससे आपको मानसिक स्वास्थ्य की हानि होगी.
नई जगहों पर जाएं
घूमने से कभी पीछे मत हटें. इस काम के लिए हमेशा ऊर्जा और उत्साह बचा कर रखिए. नई जगहों पर जाने से नई चीज़ें सीखने को मिलती हैं. संस्कृती-सभ्यता का आदान-प्रदान होता है.
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कड़ी मेहनत
छोटी उम्र में नई चीज़ों को सीखने में आसानी होती है. 30 वर्ष में मानसिक हालत ऐसी नहीं होती कि आप कोई नई स्किल झट से सीख जाएं. आपको उसे सीखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, इसका कोई विकल्प नहीं है.
नकारात्मक लोगों से दूर रहें
वो लोग जो आपके भीतर सकारात्मक सोच को पनपने नहीं देते, उनसे दूरी बना लेना बेहद ज़रूरी है. तभी आप आगे की संभावनाओं को समझ सकेंगे.
पढ़ाई का त्याग न करें
बहुत लोगों को लगता है पढ़ाई सिर्फ़ कॉलेज तक ही सीमित रहती है. जीवन भर किताबों का बोझ उठाना बेवकूफ़ी होगा. लेकिन ऐसा नहीं है, पढ़ने के लिए कोई उम्र निश्चित नहीं है. हर उम्र में किताबों से मित्रता बनाए रखें.
व्यायाम
सप्ताह में 150 मिनट की कसरत आपको फ़िट रखने के लिए काफ़ी है. इसे जीवनशैली का हिस्सा बना लें.
ख़र्चों पर नियंत्रण रखें
नौकरीशुदा लोग अक्सर सप्ताह के अंत में ही ज़िंदगी को खुल कर जीते हैं पार्टी करते हैं. इस दो दिन में वो अपने सप्ताहभर की कमाई को होम कर देते हैं. चुकी आप बड़े हो चुके हैं और आपसे परिवार की उम्मीद भी जुड़ी है इसलिए आप ख़ुद को आर्थिक रूप से कठिन परिस्थितियों के लिए तैयार बनाएं.
पाक कला
ज़रूरी नहीं आप इसके महारथी हो लेकिन कभी ज़रूरत पड़ी, तो अपना पेट पालने में कोई मुश्किल न आए.
नए लोगों से मिलते रहें
आम तौर पर इस उम्र में लोगों का दायरा सीमित हो जाता है. दोस्तों में इजाफ़ा नहीं होता. नए लोगों से मिलने से कतराने लगते हैं, ऐसा करने से हम अपने व्यक्तित्व के विकास को रोकते हैं.
रिस्क लेने से पीछे मत हटें
इस उम्र में लोग स्थायी होने की सोचने लगते हैं. नई चीज़ों पर दांव लगाने की इच्छा नहीं होती, इस प्रवृति से वो कितने ही मौके गवां देते हैं, जो उनकी ज़िंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते थे.
माफ़ कीजिए और भूल जाइए
कब तक दूसरों या ख़ुद की ग़लतियों की याद को ढोते रहेंगे. तीस के होने से पहले हर उस बोझ को ज़हन से उतार दीजिए क्योंकि आगे नए भार भी तो उठाने होंगे.
काम से ब्रेक
काम चलता रहेगा लेकिन हमेशा उसके दबाव में नहीं रहना है. मौका मिलते ही छुट्टी लीजिए और अकेले या दोस्तों के साथ वक़्त बिताते रहिए.
बदलाव का सामना
ज़िंदगी हर वक़्त बदलती रहती है, एक बदलाव ही है जो निरंतर और शाश्वत है. ऐसे में अगर आप इसके खिलाफ़ खड़े होने की कोशिश करेंगे, तो मुंह की खाएंगे. हमेशा बदलाव को समझिए और ख़ुद को तैयार रखिए.
‘न’ कहना ज़रूरी है
जितनी ज़ल्दी हो सके इस कला को आत्मसात कर लें, तो बेहतर है. व्यवहार बनाने के चक्कर में हर चीज़ को ‘हां’ बोलना कई बार आपके ख़िलाफ़ भी चला जाता है.
नए सपने देखिए
अभी आप सिर्फ़ 30 के होने वाले हैं, ज़िंदगी ख़त्म नहीं हुई है. सपने देखने की आदत को त्यागने की कोई ज़रूरत नहीं है. हो सके तो कुछ नए ख़्वाब भी बुनिए
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