पिछले चार माह में कच्चे तेल की कीमतें 30 फीसदी बढ़ चुकी हैं। इससे पेट्रोल और डीजल की महंगी कीमतों से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं है। साथ ही घरेलू खुदरा बाजार में पिछले साल से स्थिर कीमतों के कारण सरकारी तेल विपणन कंपनियों को प्रत्येक लीटर डीजल पर पांच रुपये का नुकसान हो रहा है। हालांकि, पेट्रोल पर एक रुपये का फायदा हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम सस्ते होने से अप्रैल-जून तिमाही में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल पर जमकर मुनाफा कमा रही थीं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक, इस दौरान कंपनियों ने डीजल पर 8.6 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर नौ रुपये का मार्जिन कमाया था। पेट्रोल व डीजल की कीमतें न बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में तेल कंपनियों की कमाई घट सकती है।
इंडियन ऑयल को पहली तिमाही में 13,750 करोड़ और भारत पेट्रोलियम को 10,644 करोड़ का मुनाफा हुआ था। मोटे मुनाफे के बाद भी कंपनियों ने तेल के दाम नहीं घटाए। क्रिसिल के अनुसार, तीनों सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल को मौजूदा वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये के परिचालन लाभ होने का अनुमान है। यह बीते वर्ष के 33,000 करोड़ रुपये का तीन गुना है।
95 डॉलर तक पहुंचा कच्चे तेल का भाव
कच्चे तेल की कीमतें दो महीने में 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुकी हैं। कुछ दिन पहले 95 डॉलर तक पहुंच गईं। हालांकि, यह अभी 92 डॉलर प्रति बैरल पर हैं। भारत की सरकारी रिफाइनरियां उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप तय करती हैं। जिस तरह का माहौल है, ऐसे में कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकता है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के सस्ते होने की उम्मीदों को और तेज झटका लग सकता है।