2021 का पहला प्रदोष व्रत : भगवान शिव की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है

आज साल का पहला प्रदोष व्रत है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दिन है. इस बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है. प्रदोष व्रत का पूजन शाम के समय सूर्यास्त से पहले और बाद में किया जाता है. 

प्रदोष व्रत के दिन नहा धोकर साफ हल्के रंग के कपड़े पहनें. भगवान शिव के सामने घी का दीया जलाएं और 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र जाप करें. शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत (दूध दही घी शहद और शक्कर) से स्न्नान कराएं उसके बाद शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली मौली चावल धूप दीप से पूजन करें.

भगवान शिव को सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं. आसन पर बैठकर शिवाष्टक का पाठ करें तथा सारे विघ्न और दोषों को खत्म करने की प्रार्थना भगवान शिव से करें

बच्चों की जन्मकुंडली के लग्न भाव में पापी ग्रहों के होने और लग्नेश के नीच राशि मे जाने से स्वास्थ्य में बाधा आती है. स्वास्थ्य के कारक सूर्य पीड़ित होने से भी सेहत अच्छी नहीं रहती है.

प्रदोष व्रत के दिन देसी घी का चौमुखी दीपक शाम के समय शिवलिंग के समीप जलाएं और शिव चालीसा का तीन बार पाठ करें. ऐसा करने से बच्चों के स्वास्थ्य की परेशानी खत्म होगी. बच्चों के स्वास्थ्य की समस्या खत्म होने पर बीमार बच्चों को दवा और कपड़ों का दान जरूर करें.

पौष, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी: रविवार, 10 जनवरी दोपहर 4 बजकर 52 मिनट से सोमवार, 11 जनवरी 2 बजकर 32 मिनट तक.

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