कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी विदेश दौरे से वापस लौट चुकी हैं. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर भी इसी इलाके में है. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सूबे में दो प्रभारी महासचिवों की नियुक्ति कर सभी को चौंका दिया. ऐसा पहली बार हुआ जब कांग्रेस ने एक प्रदेश में दो प्रभारी महासचिव बनाए. लिहाजा कांग्रेस अध्यक्ष के इस फैसले के बाद इस तरह की चर्चा जोरों पर है कि प्रदेश में दो पार्टी अध्यक्ष भी बनाए जा सकते हैं.
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो इस बात की संभावना प्रबल है कि प्रदेश में दो पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं. कांग्रेस के एक नेता ने नाम न बताए जाने की शर्त पर ‘आजतक’ से बातचीत में कहा कि पार्टी के नियम और परंपरा के मुताबिक एक महासचिव पर एक प्रदेश अध्यक्ष रहता है. लिहाजा पूर्वी और पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए दो पूर्णकालिक अध्यक्षों की नियुक्ति संभव और तार्किक भी है. पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर पिछले कुछ दिनों से पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं और उनका जाना लगभग तय माना जा रहा है.
कांग्रेस नेता ने बताया कि प्रियंका गांधी के हाथ को और मजबूती देने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसी ब्राह्मण को अध्यक्ष बनाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का नाम सबसे आगे चल रहा है. वैसे पिछले कई दिनों से वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्र और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी का नाम भी चर्चा में है. ललितेश इस समय एआईसीसी और कांग्रेस के घोषणापत्र समिति के सदस्य हैं.
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजनीति में अपनी बहन प्रियंका गांधी की एंट्री को एकदम गुप्त रखा था. अपने दुबई दौरे से पहले उन्होंने यूपी के पूर्व प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर से मुलाकात भी की थी. दोनों नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद सूबे में बदले सियासी समीकरण से अवगत कराते हुए फरवरी के महीने में प्रदेश में राहुल गांधी को कई बड़े कार्यक्रम करने का सुझाव भी दिया था. जिस पर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी स्वीकृति भी दे दी थी. इसी की तैयारी में कांग्रेस पार्टी ने लखनऊ का रमाबाई मैदान बुक कराया था जिसमें फरवरी में बड़ी सभा का प्लान था.
प्रशासनिक दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश को 18 मंडल हैं. ऐसे में पूर्वी और पश्चिमी यूपी को 9-9 मंडलों बांटा गया है. इस लिहाज से पूर्वी यूपी में लोकसभा की 42 और पश्चिमी यूपी में 38 सीटें शामिल हैं. सूबे के इन दोनों हिस्सों के लिए दो पू्र्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद 130- जिला और शहर अध्यक्षों की नियुक्ति होनी जो पिछले वर्ष जून से लंबित है.