पूर्व सांसद सज्जन कुमार 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में पॉलीग्राफ जांच के लिये तैयार हैं। यह तर्क उनकी ओर से मंगलवार को कोर्ट में रखा गया। बशर्ते यह जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी व उनके वकीलों की मौजूदगी में कराई जाए। यह आरोप वापस लिया जाए कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
एसआईटी ने सज्जन कुमार पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए पॉलीग्राफ जांच कराने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने 14 मई को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
द्वारका जिला अदालत के महानगर दंडाधिकारी संतोष कुमार सिंह के समक्ष सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार ने कहा कि वह देश या विदेश में किसी भी स्वतंत्र एजेंसी में यह जांच करवाने को तैयार हैं। इसका खर्च भी उठाने के लिये तैयार हैं।
कोर्ट के समक्ष बचाव पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा व अनुज शर्मा ने तर्क रखा कि एसआईटी की अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि पॉलीग्राफ जांच की अनुमति देना या न देना उस शख्स का अधिकार है, जिसका पॉलीग्राफ कराया जाना है।
एसआईटी की अर्जी पर जिरह करते हुए बचाव पक्ष ने कहा इस मामले में एसआईटी के पास कोई साक्ष्य नहीं है। यह मामला 34 साल पुराना है। पहली बार शिकायतकर्ता हरविंदर सिंह ने 2016 में सज्जन कुमार का नाम लिया।
उसके बाद मुवक्किल कई बार जांच में शामिल हो चुके हैं तो अब पॉलीग्राफ कराने का औचित्य है। अगर पॉलीग्राफ में एजेंसी को कोई साक्ष्य नहीं मिला तो इसके लिये परेशान करने के लिये कौन जवाबदार होगा।
गौरतलब है कि यह मामला जनकपुरी इलाके में सोहन सिंह व उसके दामाद अवतार सिंह की हत्या व विकास पुरी इलाके में गुरुचरन सिंह को जलाने से जुड़ा है। गुरुचरण की लंबी बीमारी के बाद तीन साल पहले मौत हो चुकी है।
इस बाबत पुलिस ने थाना विकासपुरी व जनकपुरी मे दो एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में निचली अदालत ने 21 दिसंबर 2016 को सज्जन कुमार को अग्रिम जमानत दे दी थी। एसआईटी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने भी 22 फरवरी 2018 को अग्रिम जमानत रद्द करने से इंकार कर दिया।