मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानून के खिलाफ किसान एकजुट होकर आवाज बुलंद कर रहे हैं. किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं और इसके विरोध में किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. विपक्षी पार्टियों ने किसानों की मांग का समर्थन किया है. ऐसे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को किसानों के मुद्दे पर आवाज उठाने की खातिर जेल जाना पड़ा था. उस समय उन्हें देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक जेल नैनी में रखा गया था, जहां पांच दिन तक अटल बिहारी वाजपेयी बंद थे.
बता दें कि 1974 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जा रही थी. यूपी में कांग्रेस की सरकार थी और सत्ता की कमान हेमवती नंदन बहुगुणा के हाथों में थी. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के नेता हुआ करते थे और देश भर में लोगों से जुड़े हुए मुद्दों पर कांग्रेस के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले नेताओं में गिने जाते थे.
1973 में किसानों की गेहूं की फसल अच्छी हुई थी. यूपी की कांग्रेस सरकार किसानों को सरकारी दामों पर गेहूं बेचने के लिए मजबूर कर रही थी. सरकार का आदेश था कि सभी किसानों का सरकारी मूल्यों पर गेहूं बेचना अनिवार्य है. गेहूं की पैदावार अच्छी होने से बाजार में भाव अच्छा मिल रहा था, लेकिन सरकारी आदेश के चलते किसान परेशान थे. जनसंघ ने सरकार के खिलाफ देश भर में गेहूं की लेवी आंदोलन शुरु किया.
उत्तर प्रदेश में गेहूं की लेवी किसान आंदोलन की अगुवाई की जिम्मेदारी अटल बिहारी बाजपेयी के हाथो में थी. ऐसे में अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने साथ हजारों लोगों को लेकर सड़क पर उतरकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव बताते हैं कि लखनऊ की सड़कों पर वाजपेयी के उतरने और सरकार विरोधी नारे लगने लगे, देश की सत्ता में खलबली मच गई थी.
गेहूं की लेवी आंदोलन का नेतृत्व करते हुए अटल बिहारी बाजपेई ने कहा था कि सरकार गरीब किसान मजदूरों को अपना अनाज बेचने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. के विक्रम राव कहते हैं कि सरकार अनाज भंडार के लिए देशभर में गेहूं खरीद करवा रही थी, जो सरकारी दामों पर खरीदा जा रहा था और बाजार की कीमत से बहुत कम था.
सरकार का कहना था कि किसानों के खेतों में अगर एक क्विंटल भी गेहूं पैदा हुआ है, उसमें से किसान आधा बेच दे. सरकार के इस आदेश पर किसान राजी नहीं थे और सरकारी आदेश का विरोध कर रहे थे. जनसंघ इस मुद्दे पर किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए सड़क पर उतरी थी.
किसानों के मुद्दे पर अटल बिहारी बाजपेयी के उतरने के चलते लखनऊ में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने बल प्रयोग किया लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के साथ सड़कों पर उतरे नौजवान किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हुए. के विक्रम राव कहते हैं कि आंदोलन में संख्या इतनी ज्यादा थी कि उन्हें वहां की स्थानीय जेल में नहीं रखा जा सकता था. ऐसे में उस समय अटल बिहारी वाजपेयी को देश की सबसे सुरक्षित जिलों में से एक नैनी जेल में रखा गया था.
किसान आंदोलन के चलते अटल बिहारी वाजपेयी समेत पांच सौ लोगों को नैनी जेल की पांच नंबर बैरिक में रखा गया. नैनी जेल में अटल बिहारी बाजपेयी पांच दिन तक बंद रहे और बाद में जमानत पर रिहा हुए. हालांकि, इसके बाद आपातकाल के दौरान भी वाजपेयी को जेल जाना पड़ा था. वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने तो किसानों के हक में कई अहम कदम उठाएं. किसानों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा अटल बिहारी वाजपेयी ने ही शुरू की और गेहूं का समर्थन मूल्य 19.6 प्रतिशत बढ़ाकर इतिहास रचा. इसके अलावा चीनी मिलों को लाइसेंस प्रणाली से मुक्त किया और राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना तैयार कराई.