दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल स्थित मस्जिद के इमाम को तनख्वाह के रूप में सिर्फ 15 रुपये महीना मिलता है. महंगाई के इस दौर में 15 रुपये महीने तनख्वाह मजाक की तरह है. यूं तो जब तनख्वाह का दिन आता है, तो हर आदमी का चेहरा खिल जाता है, लेकिन यह परिवार है ऐसा है जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग परिवार के पास महीने की तनख्वाह लेकर पहुंचता है.
तो सब के चेहरे उतर जाते हैं क्योंकि तनख्वाह के रूप में एएसआई इस परिवार को महज 15 रुपये देता है. हम बात कर रहे हैं ताजमहल की शाही मस्जिद के इमाम सैयद सादिक की.
इस परिवार को पहले तनख्वाह के रूप में 15 सोने की अशर्फियां मिलती थी. इसके बाद परिवार को 15 सोने की गिन्नियां मिलनी शुरू हुई. फिर तनख्वाह के तौर पर चांदी के 15 सिक्के मिले और अब इस परिवार को भारतीय मुद्रा में महज 15 रुपये की तनख्वाह मिल रही है.
15 का आंकड़ा 5 पीढ़ियों से परिवार के साथ है, लेकिन अब यह आंकड़ा इस परिवार को खलने लगा है क्योंकि 15 रुये में घर चलाना परिवार के लिए बेहद मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. सरकार से हर महीने मिलने वाली तनख्वाह से परिवार के लोग नाखुश हैं और इसे बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं.
सैयद सादिक की 5 पीढ़ियां ताजमहल में स्थित शाही मस्जिद में अकीदतमंदों को नमाज अदा करवाती है. एक के बाद एक परिवार की पीढ़ियां अपने काम को हर दिन बखूबी अंजाम दे रही है, लेकिन मस्जिद के इमाम की तनख्वाह अब तक नहीं बढ़ पाई है.
ताजमहल के इमाम रहे मोहम्मद सादिक बताते हैं कि उनके दादा-परदादा ताजमहल में स्थित मस्जिद के इमाम रहे और उन्हें मगलों के दौर में तनख्वाह के तौर पर सोने की 15 अशर्फियां मिलती थी. इसके बाद उन्हें 15 सोने की गिन्नियां मिलने लगी.
देश आजाद हुआ तो इमाम के परिवार को तनख्वाह के तौर पर 15 चांदी के सिक्के मिलने लगे. इसके बाद वर्ष 1966 से एएसआई ने परिवार की तनख्वाह 15 रुपये महीने निर्धारित की जो अब तक बरकरार है.
मोहम्मद सादिक के बेटे बुरहान का कहना है कि वह ताजमहल में स्थित शाही मस्जिद में तीनों टाइम की नमाज अदा करवाने पहुंचते हैं.
वह कई बार सरकार से तनख्वाह बढ़ाने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ताजमहल मस्जिद कमेटी के पदाधिकारी भी इस मामले को लेकर कई बार एएसआई और सरकार से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.