भारत और चीन एलएसी पर अब और अधिक सैनिकों को ना भेजने पर राजी हो गए हैं. दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स के बीच 14 घंटे तक चली मीटिंग के बाद मंगलवार को भारत और चीन ने साझा प्रेस रिलीज कर इस बात की घोषणा की.
सोमवार को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. करीब 14 घंटे तक ये बैठक चली थी. बैठक खत्म होने के 22 घंटे बाद दोनों देशों ने ये साझा प्रेस रिलीज जारी की. भारत के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर से प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि “दोनों पक्ष फ्रंटलाइन पर और अधिक सैनिक ना भेजने के लिए तैयार हो गए हैं” और साथ ही एलएसी पर “एकतरफा परिस्थिति बदलने से परहेज करेंगे.”
दोनों देश कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाएंगे जिससे एलएसी पर परिस्थितियां और जटिल हो जाएं और ‘गलतफहमी और गलत-निर्णयों’ से बचेंगे. साझा प्रेस रिलीज में दोनों देशों ने बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम लिए कहा कि “दोनों पक्ष दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने” और बॉर्डर पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच कम्युनिकेशन को और अधिक मजबूत करने के लिए राजी हो गए हैं.
21 सितंबर यानि सोमवार को भारतीय और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच छठी दौर की बैठक एलएसी पर चीन कै मोल्डो गैरिसन में आयोजित की गई थी. इस मीटिंग में भारत की तरफ से दो लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था. वो इसलिए क्योंकि लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का कार्यकाल अगले महीने खत्म होने जा रहा है. इसलिए उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने भी हिस्सा लिया था.
माना जा रहा है कि पी जी के मेनन ही हरिंदर सिंह की जगह लेह कोर के कमांडर बनेंगे. पी जी के मेनन इस वक्त राजधानी दिल्ली में सेना मुख्यालय में एडीजी, सीएबी (कम्पलेंट एडवायजरी बोर्ड) के पद पर तैनात हैं. साथ ही इस मीटिंग में दोनों देशों के मिलिट्री कमांडर्स के साथ साथ पहली बार डिप्लोमेट्स ने भी हिस्सा लिया था.
आपको बता दें की पिछले साढ़े चार महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. एक अनुमान के मुताबिक, इस वक्त 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर दोनों देशों के करीब एक लाख सैनिकों के साथ साथ टैंक, तोप, मिसाइल और हेवी सैन्य मशीनरी तैनात हैं. पिछले एक महीने में एलएसी पर कम से कम चार बार फायरिंग की घटनाएं हो चुकी हैं.
इससे पहले एलएसी के ही गलवान घाटी की हिंसा में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे और चीनी सेना को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था. दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर स्थिति को स्थिर करने पर स्पष्ट और विचारों का गहन आदान-प्रदान किया. दोनों पक्ष जल्द से जल्द सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक के 7 वें दौर को आयोजित करने के लिए सहमत हुए और बॉर्डर पर ही समस्याओं को हल करने के लिए और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति बनाएं रखने के लिए तैयार हो गए हैं.
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